History of abu-bakar Siddiqui رض |
अल्लाह ﷻ ने नबियों के बाद किसी को अगर रुतबा दिया है तो वह सहाबा رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهـم (नबी ﷺ के हाथ पेइमान लाने वाले खुश्नसीब) की जमाअत है जैसा कि कुरआन और हदीसों से पता चलता है,यहां एक कुरआन की आयत और एकहदीस नक़ल कर रहा हूं बाक़ी विस्तार किताबों से पढ लें।
’’وَالسَّابِقُونَ الْأَوَّلُونَ مِنَ الْمُهَاجِرِينَ وَالْأَنْصَارِ وَالَّذِينَ اتَّبَعُوهُمْ بِإِحْسَانٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمْ وَرَضُوا عَنْهُ‘‘(التوبہ۱۰۰)
तर्जुमाः और सब से आगे आगे और सब से पहले पहले मोहाजेरीन और अन्सार से और जिन्होने पैरवी की उन की उम्दगी से राज़ी होगया अल्लाह तअ़ाला उन से.और राज़ी हो गए वह उस से।
«لا تَسُبُّوا أصحابي، فلو أنَّ أحدَكم أَنْفَقَ مثل أُحُد، ذهَبًا ما بَلَغَ مُدَّ أحدهم، ولا نَصِيفَه» (مسلم شریف)
तर्जुमाः मेरे अस्हाब (सहाबा का बहुवचन) को गाली गलूच ना करो. खुदा की क़सम! अगर तुम में से कोई ओहद पहाड़ के बराबर सोनाखुदा की राह में ख़र्च करे तो किसी सहाबी के एक मद या आधा मद जौ खर्च करने के बराबर ना होगा।(الصواعق المحرقہ 24)
नोटः मद गालेबन एक मुट्ठी या आधा मुट्ठी जौ को कहते है,(नेयाज़ अहमद)
दूसरी जगह है कि ابو بكر خير الناس إلا ان يكون نبيا यानी सेवाए अम्बिया के अबू-बकर सब आदमियों से बेहतर हैं।(مطلعالقمرين 213)
शैख अब्द-उल-हक़ मुहद्दिस़-ए-देहलवी رحمۃاللہ علیہ अपनी किताब ईमान-ए-कामिल (उर्दू) पेज नम्बर 150 पे लिखते हैं आपﷺ के सहाबा सारी उम्मत से अफज़ल और बेहतर हैं।
इस में भी दर्जा ब दर्जा फजी़लत है
जो खोलफाए राशेदीन की फजीलत, फिर उस में हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿہُ फिर और सहाबा का मकाम है , हम यहा खलीफ-ए-अव्वल हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿہُ की जीवनी पे कुछ रोशनी डालेंगे,
और फिर एरादा है कि बाक़ी तीनों खलीफा की जीवनी पे कुछ क़लमबन्द करूं।
जन्म एंव नामः
नामः आप का नाम अब्दुल्लाह और लक़ब अ़तीक़ है कुन्नियत अबू-बकर है, आप कुन्नियत ही से मशहूर हुए यहां तक कि आम लोगआप का अस्ल नाम तक नही समझ पाते और अबू-बकर को ही अस्ल नाम समझते हैं, (فیضان صدیق اکبر 19)
आप رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ आ़म्मुल फील (अबरहा वाला वाक़ेया) के ढाई साल बाद और सरकार ﷺ की पैदाईश के दो सालऔर कुछ महीना बाद पैदा हुए आप رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ छः महीना मां के पेट में रहे और दो साल तक अपनी मां का दूध पिया(فیضان صدیق33)
आप का पालन पोषण मक्का ही में हुआ, सिर्फ व्यापार के ग़र्ज़ से बाहर जाया करते थे , अपने क़ौम में बड़े मालदार बा मरव्वत हस्ती थी (مرجع سابق)
आप के वालेदैन करीमैनः (माता-पिता)
वालिद माजिदः
आप رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿہُ के पिता का नाम उस्मान बिन आ़मिर और कुन्नियत अबू-क़हाफा है फतह-ए-मक्का के रोज़ ईमानलाए, हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿہُ के वफात (देहांत) के बाद भी ज़िन्दा रहे और फारूक़ी ख़ेलाफत के दौर मेंआप ने वफात पाई, إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ
(فیضان صدیق اکبر 63)
वालिदा माजिदाः
आप رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿہُ की वालिदा (माता) का नाम सल्मा और कुन्नियत उम्मुल ख़ैर है, शुरू में ही आप ने इस्लाम क़बूल करलिया था, मदीना में ही आप का 13 हिजरी जमादिस्स़ानी में इन्तेक़ाल हुआ إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ
आप की बीवियाँः
आप رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿہُ की 4 बीवियां हैं, आप ने 2 मक्का मुकर्रमा और 2 मदीना मोनव्वरा में निकाह किया.
① पहला निकाह उम्मे क़तीला से हुआ यह बनो आ़मिर बिन लुई के क़बीला से थीं, इन से एक बड़े बेटे हज़रत अब्दुल्लाह और एक बेटीहज़रत अस्मां पैदा हुईं .رضی اللہ عنھما
② दूसरा निकाह उम्मे रूमान (ज़ैनब) बिन्त आ़मिर इब्न ओवैमर से हुआ यह फराश बिन ग़नम बिन कनाना क़बीले से थीं, इन से एक बेटा हज़रत अब्दुर्रहमान رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿہُ और एक बेटी हज़रत सय्यदतोना आ़एशा सिद्दीक़ा।رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿہا हैं, हज़रतउम्मे रूमान का इन्तेक़ाल छः सन हिजरी में हुआ. आप ﷺ तदफीन में शरीक थे और क़ब्र में भी दाखिल (प्रवेश) हुए थे।
③ तीसरा निकाह हबीबा बिन्त ख़ारजा बिन ज़ैद से हुआ, इन से आप की सब से छोटी बेटी सय्यदतोना उम्मे कुल्स़ूम رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰیعَنࣿها पैदा हुईं ।
④ चौथा निकाह सय्यदतोना अस्मा बिन्त ओ़मैस से हूआ, यह हज़रत सय्यदना जाफर बिन अबी तालिब رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ कीपत्नी थीं जंग-ए-मूता में मुल्के शाम के अन्दर इन की शहादत हो गई तो अस्मा बिन्त ओ़मैस से हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ رَضِیَ اللّہُتَعَالٰی عَنࣿہُ ने शादी कर ली इन से मुहम्मद नाम के बेटे का जन्म हुआ।
इस तरह आप की चार बीवियों से छः औलादें हुईं,
तीन बेटेः अब्दुल्लाह, अ़ब्दुर्रहमान, मुहम्मद رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهـُم اَجْمَعِيْن
तीन बेटियाँः हज़रत आ़एशा सिद्दीक़ा, हज़रत अस्मां, हज़रत उम्मे कुल्सूम رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُم اَجْمَعِيْن
आप का ईमान लानाः
हस्सान बिन स़ाबित رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ अपने शेर में यूं कहते हैं,
الثَّانِي التَّالِي الْمَحْمُودُ مَشْهَدُهُ
وَأَوَّلُ النَّاسِ مِنْهُمْ صَدَّقَ الرُّسُلَا
होज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के बाद आने वाले
दूसरे आप की गवाही तारीफ के क़ाबिल थी.
और उन लोगों में सब से पहले थे जो रसूलों पर ईमान लाए। (ضیاءالنبی 2/229/سیرت محمدیہ ترجمہ مواھب اللدنیہ1/151)
38 साल की उम्र में सय्यदोना अबू-बकर सिद्दीक़ رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ ईमान लाए, (ملفوظات اعلیٰ حضرت60)
आप का ईमान लाना किसी आसमानी वही से कम नहीं था, बेअ़स़त (नबी होने से पहले का ज़माना) से बीस साल पहले इन्होंने ख़्वाबमें देखा था कि चांद आसमान से टुकड़े टुकड़े हो कर काबा शरीफ (کعبۃاللّٰه) में गिरा, मक्का के हर घर में एक एक टुकड़ा गिरा, फिरवह तमाम टुकड़े एकट्ठे हो कर पहली अवस्था में हो के आसमान में चले गए, मगर वह टुकड़ा जो अबू-बकर के घर में आया था वहीं रहगया , हज़रत अबू-बकर ने घर का दरवाज़ा बन्द कर लिया, सुबह होते ही इस का मतलब जानने के लिए यहूदी विद्वानों के घर पहंचेऔर उन लोगों से इस स्वप्न का मतलब पूछा यहूदी ने कहा यह फालतू स्वप्न है इस का कुछ मतलब नहीं.
कुछ ज़माना बाद मुल्क-ए-शाम (syria) व्यापार के लिए गए हुए थे एक राहिब (इसाई पंडितفیروز اللغات خرد 368) से अपनेख़्वाब के बारे में पूछा,
राहिब ने पूछाः आप कौन हैं?
आप ने फरमायाः मैं क़ोरैशी हूं(मक्का के एक क़बीले का नाम)
राहिब ने कहाः मक्का में तुम्हारे ही कुल (खानदान) में एक पैग़म्बर पैदा होगा उस के मार्गदर्शन का प्रकाश मक्का के हर घर में पहुंचेगा, आप उन के जीवन में उन के वज़ीर होंगे, और पैग़म्बर ﷺ के देहान्त के बाद उन के ख़लीफा होंगे.
जब होज़ूर ﷺ ने मुझे इस्लाम की दावत दी तो मैं ने कहा हर पैग़म्बर की नोबुव्वत पर एक दलील होती थी, आप की दलील क्याहै?
प्यारे नबी ﷺ ने कहा कि मेरी नोबुव्वत की दलील वह ख़्वाब है जो तुम ने देखा था और यहूदी आ़लिम ने कहा था उस का कोईएअतेबार नहीं, और मुल्क-ए-शाम के राहिब ने ऐसा ऐसा ताबीर बताया था,
मैं ने पूछा आप को इस की किस ने खबर दी है ?
आप ﷺ ने फरमाया मुझे मुझे जिबरईल علیہ السلام ने खबर दी है
आप ने कहा इस से ज़्यादा आप से कोई दलील नही पूछताः फौरन आप ने कहां:
اَشھد ان لا الہ الااللّٰہ وحدہ لا شریک لہو اشھد انک عبدہٗ و رسولہٗ
(معارج النبوۃ اردو 2/229)
आप के ईमान लाने के बाद आप की कोशिश से बहुत सारे लोग ईमान लाए कुछ के नाम निचे दिए जाते हैं.
हज़रत सिद्दीक़े अकबर رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ की बेटी अस्मां رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿھا कहती हैं कि हमारे अब्बा जान जिस रोज़ईमान लाए उसी रोज़ हम सब घर वालों को ईमान की दावत (धर्म प्रचार प्रसार) दी जब तक हम ने इस्लाम को क़बूल नही कर लिया, मजलिस से उठे नहीं, अशरा मुबश्शेरा में से पांच लोग इन्ही की मेहनत से इस्लाम क़बूल किए जिन के नाम यह हैं
उ़स़्मान इब्न अ़फ्फान,
ज़ुबैर इब्न अ़व्वाम,
त़ल्हा़ इब्न ओ़बैदुल्लाह,
साअ़द इब्न अबी- वक़्क़ास
अब्दुर्रहमान इब्न औ़फ رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿھُم اَجࣿمَعِنࣿ
(معارج النبوۃ اردو2/235)
मर्दों में पहले ईमान लाने वाले हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿہُ की ज़ात है इसी लिए इन का मर्तबा अल्लाह ﷻऔर होज़ूर ﷺ की बारगाह मे बहुत उंचा है जिस का संक्षिप्त में उपर लिख दिया गया है विस्तार से انشاءاللہ “फज़ीलत-ए-अबू-बकर सिद्दीक़„ नाम से एक आर्टिकल लिखूँगा (नेयाज़ अहमद निज़ामी)
आप की ख़ेलाफतः
नबी ﷺ के ज़ाहिरी पर्दा करने के बाद मुसलमानों में सब से पहले जो मसला सामने आया वह यह कि अब हम लोगों का ख़लीफाकौन होगा?
जिस की अगुआई में हम लोग अपनी ज़िंदगी बसर करें।
अतः हज़रत इब्न मस्ऊ़द رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ कहते हैं कि जब हज़रत मुहम्मद ﷺ की वफात (देहांत) हुई तो अन्सार (मदीनाके सहाबा) ने कहा कि एक अमीर हम से होगा और एक अमीर आप (यानी मुहाजिर) लोगों से होगा तो हज़रत उमर इब्न ख़त्ताब رَضِیَاللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ ने उन के पास आ कर कहा कि ऐ अन्सार के लोगों! क्या आप लोग नही जानते कि होज़ूर ﷺ ने हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ को लोगों की इमामत का आदेश दिया था और तुम में से कौन चाहता था कि अबू-बकर से आगेहो तो अन्सार ने कहा कि हम इस बात से अल्लाह की पनाह चाहते हैं कि अबु-बकर से आगे हों, (الصواعق المحرقہ 55/الاسالیبالبدیعہ34)
लेहाज़ा सब के इत्तेफाक़ से आप खलीफा हुए।
अपने ख़ेलाफत के ज़माना में बहुत से काम आप ने नुमायां किए जिन में से कुछ नोट किए जा रहे हैं,
सब से पहले क़ुरआन को आप ने जमा किया.
सब से पहले क़ुरआन का माम “मुस्ह़फ„ مُصࣿحَفࣿ आप ने ही रखा.
इस्लाम का सब से पहला खलीफा बनने की ख़ुशनसीबी आप को ही मिली.
और आप को ही सब से पहले “या ख़लीफतुल्लाह„ पुकारा गया.
सब से पहले बैतुल माल यानी सरकारी खजाना आप ने ही स्थापित किया.
सब से पहली मस्जिद आप ने बनाई.
अपने पिता की ज़िन्दगी ही में ख़लीफा बनने का सौभाग्या आप को ही मिला. (فیضان صدیق اکبر495)
करामतः
एक दिन हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ तीन मेहमान अपने घर लाए, और ख़ुद शाम का खाना खाने के लिएहोज़ूर ﷺ के पास चले गए, फिर रात गए वापस आए बीवी ने पूछा ! मेहमानो के पास जल्दी ना आने का कारण क्या हुआ?
इन्होंने कहा! क्या उन्होने खाना नहीं खाया?
बीवी ने कहाः उन्होंने आप के बगैर खाना खाने से इन्कार कर दिया था, सिद्दीक़ अकबर ने फरमाया खुदा की क़सम अब खाना नहीखाउंगा, मेहमानो से फरमाया खाना खाईए!
एक मेहमान का कहना है अल्लाह की क़सम हम जो लुक़मा भी लेते तो नीचे वाला खाना पहले वाले से ज़्यादा हो जाता, यहां तक किहम ने पेट भर कर खाया और पहले से ज़्यादा खाना मौजूद था, हज़रत अबू-बकर رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُ ने यह देखा तो बीवी सेकहा यह क्या मामला है कि बरतन में खाना पहले से ज़्यादा है?
बीवी ने क़सम खाकर कहा वाक़ई यह खाना पहले से तीन गुणा ज़्यादा है फिर आप उस को होज़ूर ﷺ के पास ले गए , जब सुबहहुई तो मेहमानों का क़ाफिला नबी ﷺ के पासा आया जिस में बारह क़हीलों के बारह सरदार थे और हर सरदार के साथ बहुत सेदुसरे 70 सवार थे उन सब लोगों ने यही खाना खाया और पेट भर कर खाया फिर भी उस बरतन से खाना खत्म नहीं हुआ।
(حجۃاللّٰہ علی العٰلَمِیࣿن دوم 615، جامع کرامات اولیا للنبھانی اردو 376، کرامات صحابہ محمدی بک ڈپو 34، فیضانصدیق اکبر 533، )
सहाबा के बीच बहस शूरू हो गई कि आप को कहा दफन किया जाए, किसी का कहना था जन्मतुल बक़िअ में किसी की ख्वाहिशशहीदों के क़ब्रिस्तान में, हज़रत आएशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿھا की ख़्वाहिश थी कि आप को उन्ही के कमरे में दफन कीजाए जिस में होज़ूर علیہ السلام आराम फरमा हैं, यह गुफतोगू हो ही रही थी कि हज़रत आएशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿھا कहती हैं कि अचानक मुझे नींद आने लगी और ख़्वाब में यह आवाज़ आने लगी ضموالحبیب الی الحبیب यानी दोस्त को दोस्त सेमिला दो, नींद से जग के मैं ने लोगों से कहा तो लोगों ने कहा कि यह आवाज़ हम लोगों ने भी सुनी है, उस के बाद सारे लोगों की राय सेआप को नबी ﷺ के बग़ल में लेटा दिया गया کرامات صحابہ 41
बिमारी और वेसालः (इन्तेक़ाल)
हज़रत आ़एशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿھا ने कहा है कि मेरे पिता जान हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ رَضِیَ اللّہُ تَعَالٰی عَنࣿهُकी बीमारी का प्रारंभ ऐसे हुआ कि आप ने 7 जमादिल उख़रा (इसलामी महीना) सोमवार के दिन स्नान किया उस दिन ठंडी बहुत ज़्यादाथी जो कि असर कर गई, आप को बुख़ार आ गया और 15 दिन तक आप बिमार रहे इस बीच आप नमाज़ के लिए भी घर से बाहर नहींनिकल सके आख़िर कार ज़ाहिरी में इसी बुख़ार की वजह से 63 साल की उम्र में 2 साल 6 महीना से कुछ ज़्यादा ख़ेलाफत करने केबाद 22 जमादिल उख़रा 13ھ को आप का इन्तेक़ाल हुआ और आक़ा करीम ﷺ के मुबारक पहलू में दफन اِ نَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِرَاجِعُونَ
(خلفاءراشدین 88)