neyaz ahmad nizami

Monday, December 26, 2016

दिल के क़लम से



काश इत्तेहाद में हमारी मिस़ाल ऐसी हो जाए
कि हमारे घर का बच्चा बच्चा ओवैसी हो जाए

तुम भी खाओगे ख़ौफ ना सामने बातिल के
शर्त है कि तुम्हारी ज़मीर ओवैसी हो जाए

दार पर चढेंगे जालिम एक दिन यक़ीनन
मज़लूम दार-ए-सलाम का अगर हितैसी हो जाए

जब लें वह नाम हमारा ऐवान-ए-बातिल में
उनकी हालत वल्लाह ऐसी की तैसी हो जाए

सुना है एक मजलिस इत्तेहाद की बात करती है
ऐ काश हिन्द की हर तन्ज़ीम वैसी हो जाए

दुआ करता है उस बे नेयाज़ से यह नेयाज़
हिन्द में हाकिम बाबा औवैसी हो जाए



کاش اتحاد میں ہماری مثال ایسی ہںو جائے
کہ ہمارے گھرکا بچہ بچہ اویسی ہںو جائے

تم بھی کھاؤگے نہ خوف سامنے باطل کے
شرط ہیے کہ تمہاری ضمیر اویسی ہںو جائے

دار پر چڑھینگے ظالم ایک دن یقینن
اگر مظلور دارِ سلام کا ہیتیسی ہںو جائے

جب لیں وہ نام ہمارا اپنے ایوان باطل میں
ان کی حالت واللہ ایسی کی تیسی ہںو جائے

سنا ہیے ایک مجلس اتحاد کی بات کرتی ہیے
ائے کاش ہند کی ہر تنظیم ویسی ہںو جائے

دعا کرتا ہیے  اُس بے نیاز سے یہ نیاز
ہند میں حاکم اسد الدین اویسی ہںو جائے

नेयाज़ अहमद निज़ामी
मिठौरा बाज़ार महराजगंज
यूपी (273307)
+918853685801



Thursday, November 17, 2016

मुझे लोग कहते हैं दीवाना तेरा: चौधरी दल्लू राम कौस़री


मुझे लोग कहते हैं दीवाना तेरा: चौधरी दल्लू राम कौस़री

मदीने  में  मुझको  बुला या मुहम्मद ﷺ
जरा अपना कूचा दिखा या मुहम्मद ﷺ

मुझे लोग कहते हैं दीवाना तेरा
कहूं और क्या माजरा या मुहम्मद ﷺ

न खोलूंगा बर्क़-ए-तजल्ला से आंखें
तसव्वुर है तेरा सदा या मुहम्मद ﷺ

ख़ुदा तेरा आ़शिक़ तू आ़शिक़ ख़ुदा का
मैं तुम दोनों पर हुं फिदा या मुहम्मद ﷺ

ख़ुदा की ख़ुदाई में कोई तुझ सा नहीं है
तू यकता है बाद अज़ ख़ुदा या मुहम्मद ﷺ

नहीं बादशाहों की कुछ मुझको परवा
तेरे दर का हुं मैं गदा या मुहम्मद ﷺ

ना रिन्दों से सोह़बत ना ज़ाहिद से रग़बत
मेरा ह़ाल कैसा यह हुआ या मुहम्मद ﷺ

मैं तेरा बना हुं मेरा तू भी बन जा
मेरा कौन है दूसरा या मुहम्मद ﷺ

तुम्हारी बदौलत ख़ुदा मुझको बख़्शे
हो मक़बूल मेरी दुआ या मुहम्मद ﷺ

तेरा कौस़री रहता है हिन्दूओं में
है ज़ुल्मत में आब-ए-बक़ा या मुहम्मद ﷺ

नेयाज़ अहमद निज़ामी

مجھے لوگ کہتے ہیں دیوانہ تیرا: چودھری دلُّو رام کوثری

مدینے میں مجھکو بلا یا محمد ﷺ
ذرہ اپنا کوچہ دکھا یا محمد ﷺ

مجھے لوگ کہتے ہیں دیوانہ تیرا
 کہوں اور کیا ماجرا یا محمد ﷺ

نہ کھولونگا برق تجلّٰی سے آنکھیں
تصور ہیے تیرا صدا  یا محمد ﷺ

خدا تیرا عاشق تو عاشق خدا کا
میں تم دونو پر ہںوں فدا یا محمد ﷺ

خدا کی خدائی میں تجھسا نہیں ہیے
تو یکتا ہیے بعد از خدا یا محمد ﷺ

نہیں بادشاہںوں کی کچھ مجھکو پرواہ
تیرے در کا ہںوں میں گدا یا محمد ﷺ

نہ رندوں سے صحبت نہ زاھد سے رغبت
میرا حال کیسا یہ ہںوا یا محمد ﷺ

تمہاری بدولت خدا مجھکو بخشے
ہںو مقبول میری دعا یا محمد ﷺ

تیرا کوثری رہتا ہیے ہندوؤں میں
ہیے ظلمت میں آب بقا یا محمد ﷺ

نیاز احمد نظامی

Friday, October 28, 2016

आतंकवाद के विरुद्ध आन्दोलन का नाम हुसैनियत है


इस्लाम मानवता का धर्म है। इस्लाम शब्द ही से इस धर्म का उद्देश्य और उस का अर्थ समझ में आ जाता है। इस्लाम एक इन्सान के  निजी एवं व्यक्तिगत जीवन से लेकर उसके पारिवारिक, सामाजिक धार्मिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जीवन जीने का तरीका सिखाता है। पूरे विश्व में शांति की स्थापना करने हेतु पैगम्बर मुहम्मद ﷺ साहब ने फ़रमाया की पड़ोसियों का ख़याल रखो। वो पड़ोसी चाहे जिस धर्म या समुदाय से सम्बन्ध रखते हो। अपने आप को किसी धर्म या समुदाय से सम्बंधित करने वाले ढोंगी हर जगह पाए जाते हैं। वो सम्बंधित धर्म और समुदाय को नुकसान पहुन्चाते हैं। उस धर्म का अपमान करते हैं। इस्लाम धर्म से अपने आप को सम्बंधित कर इस्लामी शिक्षाओं का उल्लंघन और उसे अपमानित करने वाला इस्लामी इतिहास में सब से बड़ा आतंकी और अत्याचारी व्यक्ति यज़ीद है। जिस ने पैग़म्बर ﷺ साहब के परिवार को शहीद किया और औरतों और बच्चों पर ज़ुल्म किया। अब अगर इस्लाम धर्म को यज़ीद की विचारधारा से देखा जाये तो उस में ज़ुल्म, अत्याचार, हिंसा और अन्याय मिलेगा। अगर इस्लाम को हुसैन के कर्मों और उनकी सोच के आधार पर देखा जाये तो इस्लाम में न्याय, शांति, प्रेम, अहिंसा सब्र और सौहार्द मिलेगा। यह एक वास्तविकता है कि अधर्म का अंत होता होता और सत्य अजर और अमर होता है। यही वजह है कि यज़ीद के अत्याचारों का सूर्य शाम के अंधेरों में डूब गया लेकिन हुसैन के सत्य की किरने आज भी हर सवेरे में चमकती हैं। आज हुसैन अ.स. सिर्फ हज़रत अली अ.स. के बेटे और हज़रात मुहम्मद ﷺ के नवासे नहीं रहे बल्कि क़यामत तक के लिए सत्य और असत्य, सच और झूट, धर्म और अधर्म के बीच फ़र्क और विभाजक का नाम हुसैन है। अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध उठने वाली हर आवाज़ का नाम हुसैन है। ज़ुल्म और ज़्यादती के विरुद्ध खड़ा होने वाला हर व्यक्ति हुसैनी है। आल इण्डिया उलमा व मशाईख बोर्ड इसी हुसैनी मिशन को जन जन तक पहुँचाने का काम कर रही है। इस्लाम के नाम पर फैलाई जा रही दहशतगर्दी और उस पर हो रही घिनावनी राजनीति के विरुद्ध तमाम खानकाहों, दरगाहों और आस्तानों की सामूहिक आवाज़ बन कर आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड देश भर में गग्रुकता अभियान चला रहा है। साम्प्रदायिकता के विरुद्ध आपसी सौहार्द को बहल करने का कार्य कर रहा है। इस संगठन को विश्वास है की सूफियों और सूफीवाद में यकीन और आस्था रखने वाले लोग इस अभियान का हिस्सा बनेंगे और देश के कोने कोने में नफरत के विरुद्ध प्रेम के दीपक हर भारतीय के दिल में रोशन करेंगे। आतंकवाद और कट्टरवाद के हर रंग को मुंह तोड़ जवाब देंगे। यह देश हमारा है। हुसैन अ.स. हमारे है। उनका मिशन हमारा है। हज़रात इमाम हुसैन अ.स. ने फ़रमाया ज़ुल्म और अत्याचार के विरुद्ध जितनी देर से खड़े होगे बलिदान उतना ज्यादा देना होगा। कर्बला में हजारों यज़ीदी फ़ौज के सामने तनहा हुसैन ने ज़ालिम यज़ीद के सामने सीना तान कर यह पैगाम दिया कि ज़ुल्म सहना भी ज़ुल्म है। अकेले पर और कमजोरी की परवाह किये बगैर बुराई के खिलाफ खड़े हो जाओ। सत्य कभी कमज़ोर और तन्हा नहीं होता। आज अधर्मी और असत्य का साथी ज़ालिम यज़ीद का नाम लेने वाला कोई नहीं। कर्बला के बाद किसी माँ ने अपने बच्चे का नाम यज़ीद नहीं रखा। सत्य और धर्म की खुदाई आवाज़ बनकर हुसैन आज भी हर नेक इन्सान के दिल में बसे हैं। जब से इन्सान बेदार और जागरूक हुआ है हर कौम पुकारती है कि हमारे हैं हुसैन।
आज कुछ आतंकवादी अपने आप को मुसलमान कहते हैं और अपनी दहशत के कारोबार को इस्लाम की सेवा कहते हैं। इस्लाम के इन दुश्मनों और उस जैसी विचाधारा रखने वाले हर व्यक्ति को यह समझना होगा की इस्लाम यज़ीदी विचाधारा का नाम नहीं है इस्लाम हो हुसैन आचरण और विचारधारा का नाम है। आज के इस युग में यज़ीदी विचारधारा को वहाबी विचाधारा से जाना जाता है। जो कल यज़ीदी थे आज वही वहाबी हैं। कल भी पैगाबर ए इस्लाम के परिवार वालों ने इस विचारधारा का विरोध किया था और आज भी वो परिवार इस विचारधारा का विरोध कर रहा है। इस परिवार की सामूहिक आवाज़ का नाम आल इण्डिया उलमा व मशाईख बोर्ड है।
उलमा, मशाईख और विद्वानों का यह संगठन पिछले एक दशक से आतंकवाद और कट्टरवाद के विरुद्ध एक लम्बी लड़ाई लड़ रहा है। इस के लिए कई महासभाए और महासम्मेलन का आयोजन भी किया। इसी साल मार्च में अंतर्राष्ट्रीय सूफी सम्मेलन के नाम से एक बड़े सम्मेलन का आयोजन दिल्ली में 4 दिनों तक किया गया। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए यह संगठन आगामी 4 दिसंबर को एक सुन्नी कांफ्रेंस लखनऊ में करने जा रहा है जिस में देश भर की सूफी सज्जादा और विद्वानों को आमंत्रित किया गया है। चूँकि यह सम्मेलन देश में कट्टरता और साम्प्रदायिकता के विरुद्ध एक आन्दोलन है इस लिए यह हर भारतीय का कार्यक्रम है। इस में हर भारतीय को भाग लेना चाहिए। मीडिया बंधुओं से मुख्य रूप से निवेदन है की इस अभियान का हिस्सा बने और अपन सहयोग दें।
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सय्यद आलमगीर अशरफ

नेयाज़ अहमद निज़ामी
neyaznizami.blogspot.com

Wednesday, July 6, 2016

ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ ट्रस्ट  (K.K.T.) की तरफ से aimim सचीव मिठौरा ब्लॉक एंव ट्रस्ट के ज़िम्मेदारों की मौजूदगी में






ईद -उल- फित्र के मौक़े पर क़ौम के ग़रीब नादार लोगों को तोहफा तहायेफ पेश किया गया जिस से गरीबों में खुशी की लहर दौङ गयी और बेशूमार दुआओं से  ट्रस्ट को नवाज़ा

ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ ट्रस्ट  उन सभी लोगों का शुक्र अदा करता है जिन्होने अपनी क़ीमती वक्त , पैसा , और अपनी राये से ट्रस्ट को आगे बढने में मदद किया

नेयाज़ अहमद निज़ामी

خدمت خلق ٹرسٹ کی طرف سے اے آئی ایم آئی ایم صدر مٹھورا بلاک اور ٹرسٹ کے دیگر اراکین کی موجودگی میں عیدالفطر کے موقع پر قوم کے غریب ونادار لوگوں کو تحفہ تحائف پیش کیا گیا جس سے غرباء میں خوشی کی لہر دوڑ گئی اور بےشمار دعاؤں سے ٹرسٹ کو نوازا


خدمت خلق ٹرسٹ ان سبھی لوگوں کا شکر یہ ادا کرتا ہیے جنہونے اپنی قیمتی وقت،پیسہ،اور اپنے نیک مشوروں سے ٹرسٹ کو آگے بڑھنے میں مدد کی

نیاز احمد نظامی


Monday, June 20, 2016

حافظ ملت ایک نظر میں


حافظ ملت ایک نظر میں
مضمون نگار:   اولیاء اللہ کا مختصر تعارف


حافظ ملت حضرت علامہ عبد العزیز صاحب مراد آبادی علیہ الرحمۃ ہندوستان کے مشہور صوبہ یو۔پی کے ایک مغربی ضلع مراد آباد کے قصبہ بھوجپور میں ۱۸۹۴ ؁ ء میں پیدا ہوئے آپ دنیائے اسلام کی عظیم دینی درسگاہ جامعہ اشرفیہ مبارکپور کے بانی ہیں ۔
آپ نے اپنی عظیم جامعہ کو حضرت مخدوم سید اشرف جہانگیر سمنانی علیہ الرحمۃ کی طرف نسبت کرتے ہوئے اس کا نام جامعۃ اشرفیہ رکھا ۔
جس وقت آپ علیہ الرحمۃ نے استاد مکرم حضرت صدر الشریعہ علامہ امجد علی صاحب علیہ الرحمۃ (صاحب بہار شریعت ) کے حکم پر تکمیل درسیات کے بعد اعظم گڑھ ضلع کے قصبہ مبارکپور تشریف لائے اس وقت یہاں ایک مدرسہ ٭مصباح العلوم ٭ کے نام سے قائم تھا ۔
حضرت حافظ ملت علیہ الرحمۃ کی انتھک محنت کے باعث اللہ عزوجل نے اسی چھوٹے سے مدرسے میں برکت عطا فرمائی اور بالآخر یہ مدرسہ ایک عظیم الشان پھل دار درخت کی حیثیت سے جامعہ اشرفیہ کے نام سے متعارف ہوا ۔ چناچہ جامعہ اشرفیہ کے فاضلین آج بھی اس جامعہ کے پرانے نام کی طرف نسبت کرتے ہوئے دنیابھر میں مصباحی معروف ہیں ۔
حضرت حافظ ملت علیہ الرحمۃ ایک عہد ساز اور انقلاب آفریں شخصیت کے مالک تھے۔ آپ علیہ الرحمۃ نے زندگی کے قیمتی لمحات انتہائی خوبی سے دین ومسلک کی خدمت و اہتمام میں گزارے ۔ آپ کے پاکیزہ اور روحانی کیفیات سے سرشار وجود میں بھی اخلاق کریمانہ اور اوصاف بزرگانہ کا ایک جہاں آباد تھا ۔ آپ اخلاق ، جہد مسلسل ، استقلال ، ایثار ، ہمت ، کردار ، علم ، عمل ، تقوی ، تدبر ، اسلامی سیاست ، ادب ، تواضع ، استغناء ، توکل ،قناعت اور سادگی جیسے بے پناہ اوصاف سے بھی مزین تھے ۔
جامعہ اشرفیہ کی تعمیر کے وقت جب آپ علیہ الرحمۃ کی خدمت میں کوئی عقیدت مندکوئی ہدیہ وغیرہ پیش کرتا تو آپ علیہ الرحمۃ اسے جامعہ اور اس کے اساتذہ کے مصرف میں لاتے۔ چونکہ مبارکپور ، یوپی کا انتہائی گرم علاقہ ہے اور تعمیر کے وقت اشرفیہ میں پنکھے وغیرہ کی کوئی خاص سہولیات میسر نہ تھیں چنانچہ اگر کہیں سے آپ علیہ الرحمۃ کی خدمت میں پنکھا پیش کیا گیا تو آپ علیہ الرحمۃ نے قبول فرما کر فورا ہی کسی ایسے مدرس کے ہاں بھجوا دیا جس کے کمرہ میں یہ سہولت میسر نہ تھی اور کبھی بھی یہ پسند نہ فرمایا کہ خود آرام میں رہیں اور اشرفیہ کے طلبہ ومدرسین محرومی کا شکار ہوں ۔
آپ علیہ الرحمۃ ایک انتہائی مالدار اور صاحب ثروت گھرانے سے تعلق رکھتے تھے۔ مگر آپ علیہ الرحمۃ نے اپنی زمینوں کا بیش بہا حصہ اشرفیہ کے لئے وقف فرمادیا تھا ۔ یہاں تک کہ آپ علیہ الرحمۃ کے بارے میں مشہور ہے کہ آپ نے اپنے قیمتی ملبوسات فروخت کر کے بھی بسا اوقات اشرفیہ کے طلبہ کے لئے خوردونوش کا اہتمام فرمایا ۔
یہی وجہ ہے کہ اللہ تعالی نے آپ کی قائم کردہ یونیورسٹی جامعہ اشرفیہ مبارکپور میں وہ برکت رکھی کہ پاک وہند کے بڑے بڑے معروف اصحاب علم وفضل جامعہ اشرفیہ مبارکپور میں بسر کئے ہوئے اپنے دور طالبعلمی پر ناز کرتے ہیں جبکہ جامعہ اشرفیہ بھی اپنے ان فاضلین پر خوب نازاں ہے ۔
ان ارباب علم وفضل میں معروف ترین شخصیات یہ ہیں:
۱۔ مفتی محمد شریف الحق صاحب امجدی علیہ الرحمۃ ۔
۲۔مفتی محمد وقار الدین صاحب علیہ الرحمۃ ۔ (سابقہ مفتی دار العلوم امجدیہ کراچی )
۳۔ مفتی ظفر علی نعمانی صاحب علیہ الرحمۃ ( بانی دار العلوم امجدیہ کراچی )
۴۔ علامہ ضیاء المصطفی الاعظمی دامت برکاتہم العالیہ(معروف محدث کبیر انڈیا )
۵۔قاری رضاء المصطفی الاعظمی دامت برکاتہم العالیہ
۶۔ علامہ عبد الرؤوف صاحب علیہ الرحمۃ ( مرتب فتاوی رضویہ )
۷۔ مفتی عبد المنان صاحب الاعظمی دامت برکاتہم العالیہ ( مرتب فتاوی رضویہ )
حافظ ملت علیہ الرحمۃ نے ۱۹۷۶ ؁ء میں اس دار فانی سے کوچ کیا۔ آپ علیہ الرحمۃ کے وصال کے وقت شہزادہ اعلی حضرت حضور مفتی اعظم ہند علیہ الرحمۃ بلک پڑے اور پھوٹ پھوٹ کر روئے ۔ جب دل کو کچھ سنبھالہ ہوا تو دیر تک حافظ ملت علیہ الرحمۃ کے اوصاف حسنہ بیان فرماتے رہے ۔ پھر فرمایا ۔
٭اس دنیا سے جو لوگ چلے جاتے ہیں ان کی جگہ خالی رہتی ہے خصوصا مولوی عبدالعزیز علیہ الرحمۃ جلیل القدر عالم ، مرد مومن ، مجاہد ،عظیم المرتبت شخصیت اور ولی کی جگہ کا پر ہونا بہت مشکل ہے ۔ یہ خلا پر نہیں ہوسکتا ۔ ٭
( مفتی اعظم ہند ۔ ص ۱۳۹)
اللہ عزوجل ہمارے ان بزرگوں کو ہماری جانب سے بہترین جزا عطافرمائے اور ہمیں بھی ان کے نقش قدم پر چلتے ہوئے دین کی خوب خدمت کرنے کی توفیق بخشے ۔ خصوصا دینی مدارس قائم کرنے ، انہیں آباد کرنے اور ان سے بھر پور جانی ومالی تعاون کرنے کی ہمت وتوفیق دے ۔
امین بجاہ سید المرسلین صلی اللہ علیہ والہ وسلم

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By
Neyaz Ahmad Nizami

अस्सलाम-ओ-अलैकुम
आपको यह जानकर खुशी होगी कि आज मिठौरा बाजार जिला सहकारी बैंक के सामने सय्यद मजनू आलम (AIMIM सचीव मिठौरा ब्लॉक) के घर पर 11:00बजे दिन में एक पब्लिक मीटिंग रखी गई है जिसमें शेर-ए- महाराजगंज जनाब *सरवर खान* साहब और भी बहुत से मजलिस के *उच्च अधिकारी* तशरीफ ला रहे हैं इसलिए आप से गुजारिश है कि खुद आने की कोशिश करें अपने घर वालों को भी भेजें अपने दोस्तों को भेजें और कोशिश करें कि सब के सब आपके चाहने वाले इस मजलिस में आयें  और aimim की जो सेवाए सुनें,समझें, और क़ौम के मजलूमों की मदद करें
पार्टी को मज़बूत करें
इत्तेहाद ज़िंदगी है
  इंतेशार मौत है
धन्यवाद

Monday, June 13, 2016

इस का तो रमज़ान दुश्मन है: Neyaz Ahmad Nizami





एक व्यक्ती को फरिश्ते आग के गुर्जों से मारते हुए क्यामत (प्रलय) के मैदान में लाएंगे रसुलुल्लाह صلی اللہ علیہ وسلم को देखते ही दौङ कर आप से चिमट जाएगा
आप अलैहिस्सलाम पूछेंगे कि इस का क्या कोसूर (गलती/पाप) है?
कहा जाएगा कि इस ने रमज़ान का महीना पाया मगर उस की इज्ज़त नही की गुनाहो(पापों) में रहा ।
होज़ूर अलैहिस्सलाम शफाअत करना चाहेंगे अल्लाह रब्बुल इ़ज्जत फरमाएग, आप किस की बख्शिश करवाने जा रहे हैं? “इस का तो रमज़ान दुश्मन है„
तो आप अलैहिस्सलाम कहेंगे कि “जिस का रमज़ान दुश्मन है उस का मैं भी दुश्मन हूं„ अपने पास से हटा देंगे।
(فضائل رمضان ص25)
اس کا تو رمضان دشمن ہیے،

حکایت: ایک شخص کو فرشتے آگ کے گرزوں سے مارتے ہوئےمیدان قیامت میں لائیں گے وہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو دیکھتے ہی دوڑکر آپ علیہ السلام سے چمٹ جائگا
آپ علیہ السلام پوچھیں گے کہ اس کا کیا قصور ہے؟
عرض کیا جائگا کہ اس نے رمضان کا مہینہ پایا مگر اس کی عزت نہیں کی گناہوں میں رہا.
شافع صلی اللہ علیہ وسلم شفاعت کرنا چاہینگے،
اللہ جل شانہ ارشاد فرمائگا آپ کس کہ شفاعت کرنے جا رہیے ہیں؟
 اس کا تو رمضان دشمن ہیے،
تو آپ ارشاد فرمائیں گے کہ*جس کا رمضان دشمن ہیے اس کا میں بھی دشمن ہو* اور اپنے پاس سے ہٹا دینگے (فضائل رمضان ص25)

Sunday, May 29, 2016


ख़ुश्ख़बरी               ख़ुश्ख़बरी
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आज कल जिस हिसाब से गरीबी बढती और अपने ही काम में वयस्तता होती जा रही है यह हम और आप से छुपी नही है,
☀यहां गरीबों की मदद करने को सब तयार हैं मगर आगे आने वाला कोइ नही,
☀हमारे पास गरीबों के देने के लिये सब कुछ है
☀मगर वक्त निकाल कर गरीब के घर जाने की फुर्सत नही,

औऱ इसका नुकसान यह हो रहा है कि बीचौलिये (दलाल)आकर गरीबों यतीमों की मदद के नाम पर हमारी रकम को वसुल कर के ले जा रहे हैं,
और वह रक़म वहां तक नहीं पहुंच पा रहा है जहां तक पहुंचने का उस का हक़ है,

तो सोचने की ज़रूरत नही है

 मिठौरा ब्लाक में

" ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ ट्रस्ट " नाम से

एक ऐसे संगठन को संगठित किया गया है जिसने अपना लक्ष्य ही यह बनाया है कि

👉🏽KKT का यह नारा है
 गरीबों का दुख हमारा है

जिस से हमारा संकल्प समाज सेवा
गरीबों की सेवा है
जिसका विस्तार इस प्रकार है

खिदमत-ए- ख़ल्क़ ट्रस्ट का लक्ष्य
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जैसा कि नाम से अस्पष्ट है कि खिदमत-ए- ख़ल्क़ ट्रस्ट का मुलमंत्र है कि जन मानस की सेवा एवम सहायता करना,और इस मुलमंत्र का विवरण इस प्रकार है,

(1)👉🏽कोइ ऐसा ग़रीब छात्र जो पढायी पुर्ण करने से अस्मर्थ है उसकी  सहायता।

(2)👉🏽प्रकृतिक आपदा जैसे भुकंम्प, सूखा, आगज़नी, तुफान या दंगा फसाद की वजह से क्षती हुआ हो उस की सहायता।

(3)👉🏽किसी ग़रीब के यहां लङकी के वीवाह में सहायता।

(4)👉🏽किसी ग़रीब का कर्ज़ जिस के भुगतान हेतू अस्मर्थ है उस में सहायता।

(5)👉🏽कोइ ग़रीब जो बीमारी से ग्रस्त हो और इलाज का कोयी उचित साधन ना हो उस में सहायता।

(6)👉🏽धार्मिक जागरुकता हेतू सभा का आयोजन एंव धार्मिक किताबें और पम्फलेट बटवाना।

(7)👉🏽धर्मस्थल निर्माण हेतु सहायता।

(8)👉🏽धार्मिक सभाओं में सहायता।

(9)👉🏽कोइ ऐसा ग़रीब अपंग जो अंधा,लूला,गुंगा,एंव चलने में अस्मर्थ है और जीवन यापन का कोयी उचित स्त्रोत ना हो ऐसों को मासिक आय  कि सहायता।

(10)👉🏽कोइ ऐसा गरीब वृध या विधवा जिसके गुज़र बसर का साधन नहीं या कठिनायी से होती है ऐसों की सहायता।

(11)👉🏽कोइ ऐसा धार्मिक आदमी जिसकी मासिक आय कम हो या बेटी की शादी या घर में कोयी बीमारी से ग्रस्त हो उस में सहायता।

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तो जल्दी करें
👉🏿इस ट्रस्ट की सदस्यता प्राप्त करके ग़रीबों यतीमों बे सहारों की मदद करें

            🌸मुख्य सदस्य🌸
                         👇
      🌺👤मनेजर-  परवेज़ ख़ान

      🌺👤ख़ज़ांची-नूर आ़लम(बदरू)

     🌺👤सचिव-  नेयाज़ अहमद

    🌺👤उप सचीव- शराफत अली

    🌺👤मुनीम-दिलशाद ह़ाशमी

    🌺👤उप मुनीम-आज़ाद ख़ान

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             पोस्टल पता
मिठौरा बाज़ार (जिला सहकारी बैंक के सामने) महराजगंज यूपी 273307

Friday, May 27, 2016

ख़िदमत  -  ए  -  ख़ल्क़ ट्रस्ट
गरीबों की आशाओं का ट्रस्ट