neyaz ahmad nizami

Friday, November 2, 2018

शराब और शराबी: लेखक" नेयाज़ अहमद निज़ामी



नशा  पिला के  गिराना तो सब को आता है 
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
                                  अल्लामा इक़बाल

किसी भी तरह का नशा जिस तरह घरेलू जीवन के लिए अभिशाप है, उसी तरह सामाजिक  जीवन को भी श्रापित कर देता है, इस लत से ना केवल एक इन्सान की आर्थिक, व्यवहारिक, व्यापारिक, आदि स्थिती खराब होती है बल्कि घर गृहस्थी पर भी इस का असर पङता दिखाई देता है, जब नशे की लत अपनी चर्म सीमा पर होती है तो उसे इस लत को पुर्ण करने के बदले हर क़ीमत देने को तैयार रहता है, यहां तक कि अपनी ज़मीन, जायदाद, धन, वगैरह के एलावा अपनी अर्धांगिनी,एंव बच्चों को भी लुटाने में हिचकिचाहट महसूस नही करता, जब इस में इतनी बुराईयां हैं तो आइए धार्मिक दृष्टीकोंङ से इस के सत्य असत्य होने में खोज करते हैं, ताकि हम इस बुरी लत से  जहां तक हो सके बचें। [नेयाज़ अहमद]

अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता है:

يَآ اَيُّـهَا الَّـذِيْنَ اٰمَنُـوٓا اِنَّمَا الْخَمْرُ وَالْمَيْسِـرُ وَالْاَنْصَابُ وَالْاَزْلَامُ رِجْسٌ مِّنْ عَمَلِ الشَّيْطَانِ فَاجْتَنِبُوْهُ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ (90)
اِنَّمَا يُرِيْدُ الشَّيْطَانُ اَنْ يُّوْقِــعَ بَيْنَكُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَآءَ فِى الْخَمْرِ وَالْمَيْسِـرِ وَيَصُدَّكُمْ عَنْ ذِكْرِ اللّـٰهِ وَعَنِ الصَّلَاةِ ۖ فَهَلْ اَنْتُـمْ مُّنْتَـهُوْنَ (91)
وَاَطِيْعُوا اللّـٰهَ وَاَطِيْعُوا الرَّسُوْلَ وَاحْذَرُوْا ۚ فَاِنْ تَوَلَّيْتُـمْ فَاعْلَمُوٓا اَنَّمَا عَلٰى رَسُوْلِنَا الْبَلَاغُ الْمُبِيْنُ (92
(سورہ مائدہ آیت نمبر 90-92)

तर्जुमा: ऐ इमान वालो! शराब और जुआ और बुत (मूर्ती) और तीरों से फाल निकालना यह सब नापाकी (अपवित्रता) हैं, शैतान के कामों मे से हैं, इन से बचो ताकि कामयाबी पाओ, शैतान तो यही चाहता है कि शराब और जुएं की वजह से तुम्हारे अन्दर दुश्मनी और बुग़्ज डाल दे और तुम को अल्लाह की याद और नमाज़ से रोक दे तो क्या तुम हो उन से रुकने वाले,
और अताअत (पैरवी) करो अल्लाह की और रसूल की अताअत (पैरवी) करो और परहेज़ (बचो) करो और अगर तुम ने रूगर्दानी (फिरोगे) की तो जान लो कि हमारे रसूल पर सिर्फ साफ तौर पहुंचा देना है(हमारे अहकाम को),
शराब पीना हराम है और इस की वजह से बहुत से गुनाह (पाप) जन्म लेते हैं, अत: इसे पापों और बे हयाईयों की अस्ल (जङ) कहा जाए तो ठीक है,
(بہار شریعت جلد 2 حصہ 9 صفحہ 384)
शराब जो अन गिनत जिस्मानी रूहानी बिमारियों की वजह है भाई चारा और मआशी (आर्थिक) खराबियों की जङ और फितना फसाद की निशानी है इस्लाम के पवित्र कानून में इस की गुंजाइश कैसे हो सकती है  अल्लाह ने इसे सिरे से हराम कर दिया मगर हराम होने का आदेश आहिस्ता  आहिस्ता दऔर भाग भाग कर के दिया ताकि लोगों को इस की पैरवी करना आसान हो जाए, चुनांचे सुरह बकरा में सिर्फ इतना कहा गया,
قُلْ فِيهِمَا إِثْمٌ كَبِيرٌ وَمَنَافِعُ لِلنَّاسِ (سوره البقره 219)
तर्जुमा: इन दोनो (जुआ,शराब) में बङा गुनाह (पाप) है, और लोगों के दुनियवी नफा भी, 

इस के कुछ दिन बाद यह आयत उतरी,
لَا تَقْرَبُوا الصَّلَاةَ وَأَنْتُمْ سُكٰرٰى (النساء آیت 43)
तर्जुमा: नशा की हालत में नमाज़ के पास ना जाओ,
भले शराब के हराम होने का विस्तार से इस में बयान (वर्ण) नही था मगर कई संजीदा तबियत के लोगों नें उसी वक्त ही से शराब छोङ दी थी।
(حاشیہ تفسیر ضیاءالقرآن جلد اول صفحہ 507 )

हदीसों में इस के पीने पर बहुत ही सख्ती से वईदें आई हैं ,कुछ हदीसें यहां लिखी जाती हैं

❶ हदीस-: होजूर ﷺ ने फरमाया (कहा) जो चिज़ ज्यादा मात्रा में नशा लाए, वह थोङी भी हराम (अवैध) है, (جامع الترمذی 1872 )

❷ हदीस-: सही मुस्लिम में जाबिर رضی اللّٰہ عنہ से मरवी कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया (कहा) हर नशा वाली चीज़ हराम है।(صحیح مسلم کتاب الاشربہ)

❸ हदीस-: तारिक़ बिन सोवैद رضی اللّٰہ عنہ ने शराब के बारे में सवाल किया होजूर ﷺ ने मना किया, उन्होने कहा हम तो उसे दवा के लिए बनाते हैं आप ने कहा यह दवा नहीं यह तो खुद एक बिमारी है।
(صحیح مسلم کتاب الاشربہ)


عَنْ أَنَسِ بْنِ مَالِكٍ قَالَ : ( لَعَنَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فِي الْخَمْرِ عَشْرَةً عَاصِرَهَا وَمُعْتَصِرَهَا وَشَارِبَهَا وَحَامِلَهَا وَالْمَحْمُولَةُ إِلَيْهِ وَسَاقِيَهَا وَبَائِعَهَا وَآكِلَ ثَمَنِهَا وَالْمُشْتَرِي لَهَا وَالْمُشْتَرَاةُ لَهُ ).
❹ हदीस-: अनस बिन मालिक से मरवी कि जो शख्स (आदमी) शराब के लिए शीरा निकाले और जो निकलवाए और जो पिए और जो उठा कर लाए और जिस के पास लाई जाए और जो पिलाए और जो बेचे और जो इस के दाम खाए और जो खरीदे और जिस के लिए खरीदी जाए इन सब पर रसूल ﷺ ने लानत फरमाई।
(فتاوی رضویہ جلددھم صفحہ 47)

❺ हदीस-: रसूल ﷺ ने फरमाया कि शराब से बचो कि वह हर बुराई की कुंजी (चाबी) है।
(المستدرک الحاکم)

::हुक्म::
मुसलमान बालिग अक्लमंद बे गैर मजबूरी शराब की एक बूंद भी पिए तो उस पर हद (सज़ा) है, 
(بہار شریعت جلد 2 حصہ 9 صفحہ389)

उस की सज़ा में 80 कोङे मारे जाएंगे गुलाम को 40 और बदन के अलग अलग हिस्से में मारेंगे,
(بہار شریعت جلد 2 حصہ 9 صفحہ 392)

शराब हराम और पेशाब की तरह नापाक (अपवित्र) और उस का पीना गुनाह-ए-कबीरा (बङा पाप) है पीने वाला फासिक़ फाजिर नापाक बेबाक (निडर) मरदूद है 
सभी नशा लाने वाली चीज़ हराम है:
जितनी चिजे़ं बारीक और सेयाल होकर नशा लाती हैं चाहे वह महुवा से बनाई जाएं या गुङ (भेली) या अनाज या लकङी या किसी बला से वह सब शराब हैं,उन का हर कतरा (बूंद)हराम भी और पेशाब की तरह नजिस व  नापाक (अपवित्र) है
 (فتاوی رضویہ جلد دھم ص 85)

[।।समाप्त।।]

मुरत्तिब,तर्जुमा: व तस्हील
 Neyaz Ahmad Nizami