neyaz ahmad nizami

Wednesday, August 28, 2019

अपनों की क़ब्र पर जाने से मुर्दा को सोकून मिलता है: नेयाज़ अहमद निज़ामी



अपने अज़ीज़,प्यारे, जाने पहचाने लोगों की क़ब्र  पर जाने से उन्हे उन्स सोकून मिलता है,
पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया:
„انس ما يكون للميت في قبره اذا زاره من كان في دار الدنيا“
तर्जुमा: क़ब्र में मुर्दा का ज़्यादा जी बहलने का वह समय होता है, जब ज़्यारत (दर्शन) को वह व्यक्ती आए जिसे दुनिया में मित्र रखता था। ( شفاءالسقام ص 65)

हज़रत आएशा रजियल्लाहू अन्हू से रावी कि होज़ूर ﷺ ने फरमाया:
ما من رجل یزور قبر اخیه و يجلس عليه الا استانس ورد عليه حتي يقوم.
तर्जुमा: जो व्यक्ती अपने भाई की क़ब्र की ज़्यारत को जाए, और उस के पास बैठे तो वह मुर्दा उस से उन्स (सोकून) हासिल (प्राप्त) करता है। उस का दिल उस को बैठने से बहलता है, और जब तक वह व्यक्ती उस के पास से ना उठे उस का जवाब देता है। (القبور از ابن ابی الدنیا)

अहयाउल ऊलूम की शरह(गाइड) पेज नंम्बर 367में है,
الفضل بن الموفق ابن خال سفيان بن عيينة قال:  لما مات أبي جزعت جزعا شديدا فكنت آتي قبره في كل يوم ثم اني قصرت عن ذلك فرأيته في النوم  فقال: يا بني! ما أبطأ بك عني؟ قلت وإنك لتعلم بمجيئي؟ قال ما جئت مرة إلا علمتها وقد كنت تأتيني فأسر بك ويسر من حولي بدعائك قال:  فكنت آتيه بعد كثيرا.

तर्जुमा:  फज़्ल बिन मोफिक़ सुफियान बिन ऐनिया के मामू ज़ाद भाई कहते हैं कि जब मेरो पिता का देहांत हुआ मैं बहुत परिशान हुआ तो हर रोज़ उन की क़ब्र को दर्शन (ज़्यारत) क जाता था, फिर मैं ने इस में कुछ सुस्ती कर दी, तो उन को ख्वाब ( स्वपन/सपना) में देखा तो कहा:
ऐ मेरे बेटे! क्यूं तुझे मुझसे देर होने लगी?
मैं ने  कहा कि क्या आप को मेरे आने की खबर होती थी?
उन्होने कहा: जब जब तुम आए मुझे खबर हो गई,
और जब तुम आते थे तो मैं तुम्हारे आने की वजह से ख़ुश होता था,
और तुम्हारी दुआ की वजह से मेरे इर्द गिर्द (आजू बाजू) के लोग ख़ुश होते थे,
फज़ल बिन मोफिक कहते हैं यह सुन कर मैं बहुत ज़्यादा जाने लगा।
और इसी किताब में है
قال الحافظ ابو طاھر السلفی سمعت ابا البرکات عبد الواحد بن عبدالرحمن ابن غلاب السوسی بالاسکندریة يقول: سمعت والدتی تقول: رأیت امی فی المنام بعد موتھا و ھی تقول یا ابنتی! اذا جِئتنی زائرۃ فا اقعدی عند قبری ساعة  اتملی من النظر الیک ثم ترحمی علی الخ،
तर्जुमा: हाफिज अबू ताहिर सल्फी कहते हैं:
कि मैने अबुल बरकात अब्दुल वाहिद सूसी से अस्कन्दरीया में सुना, वह कहते थे: मैं ने अपनी मां से सुना कि मैं ने अपनी मां को ख़्वाब में देखा, वह कहती थीं कि मेरी बेटी! जब तु मेरी ज़्यारत (कब्र दर्शन) के लिए मेरे पास आया कर तो एक घंटा मेरी क़ब्र के पास बैठी रह, ताकि मैं जी भर कर तुझ को देखुं फिर मेरे लिए रहमत की दुआ कर।
نُصْرَۃُالاصحاب صفحہ 111


मुरत्तिब,तरजुमा व तस्हील
 Neyaz Ahmad Nizami



Sunday, August 11, 2019

हलाल जानवर का कौन सा हिस्सा खाएं अथवा ना खाएं।

हलाल जानवरों के सभी बदन के हिस्सों का खाना हलाल यानी जायज़ हैं, मगर कुछ हिस्से ऐसे हैं जो हराम या मना या मकरूह हैं।
और वह 22 हैं, जिस का विवरण इस प्रकार हैं।

1 रगों का खून,

2 पित्ता,

3 मसाना,

4 - 5 नर मादा पहचानने की जगह,

6 बैज़े(कपूरे),

7 ग़दूद (गलदोद),

8 हराम मगज़,

9 गरदन के दो पट्ठे,

10 जिगर का खून,

11 तिल्ली का खून,

12 ग़ोश्त खून जो ज़बह करने के बाद निकलता है,

13 दिल का खून,

14 पित्त यानी वह पिला पानी जो पित्ते में होता है,

15 नाक का पानी,

16 पाखाना करने की जगह,

17 ओझङी,

18. आंत(अंतङी),

19 नुत्फा (विर्य),

20 वह नुत्फा (विर्य) कि खून हो गया,

21वह नुत्फा (विर्य)कि गोश्त का लोथङा हो गया,

22 वह नुत्फा (विर्य)कि पूरा जानवर बन गया और मुर्दा निकला  या बेगैर ज़बह मर गया।


(فتوٰی رضویہ جلد 20 صفحہ 240/241)

नोट: इन 22 जगहों को छोङकर बाकी सब का खाना हलाल है, कोई धार्मिक दृष्टीकोण सो कोई हर्ज नही।

नेयाज़ अहमद निज़ामी