neyaz ahmad nizami

Friday, September 28, 2018

नाप तौल इंसाफ से करो:मो0 ज़ीशान रज़ा मिस्बाही (हिन्दी:नेयाज़ अहमद



रब फरमाता है:
وَأَوْفُواْ الْكَيْلَ وَالْمِيزَانَ بِالْقِسْطِ لاَ نُكَلِّفُ نَفْسًا إِلاَّ وُسْعَهَا, (سورہ الانعام ۱۵۲)
तरजुमा: और नाप और तौल इंसाफ के साथ पूरी करो,  हम किसी जान पर बोझ नहीं डालते मगर उस के मक़दूर (ताकत) भर।

दूसरी जगह अल्लाह फरमाता है:
وَأَوْفُوا الْكَيْلَ إِذَا كِلْتُمْ وَزِنُوا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِيمِ ۚ ذَٰلِكَ خَيْرٌ وَأَحْسَنُ تَأْوِيلًا (سورہ الانعام ۳۵)
तरजुमा: और नापो तो पूरा नापो और बराबर तराजू से तौलो, यह बेहतर है और इस का परिणाम अच्छा।

सुरह रहमान में है:
وَوَضَعَ الْمِيزَانَ أَلَّا تَطْغَوْا فِي الْمِيزَانِ وَأَقِيمُوا الْوَزْنَ بِالْقِسْطِ وَلَا تُخْسِرُوا الْمِيزَانَ،(سورہ الرحمن ۷-۸-۹)
तरजुमा: यानी अल्लाह ने तराज़ू रखा ताकि उस से चीज़ों (वस्तुओं) की कमी ज़्यादती मालूम हो जाएं और लेन देन में इंसाफ बना रहे,और किसी का कोई हक़ ना मार सके,

सुरह हदीद में है:
وَأَنْزَلْنَا مَعَهُمُ الْكِتَابَ وَالْمِيزَانَ لِيَقُومَ النَّاسُ بِالْقِسْطِ ۖ (الحدید 25)
तरजुमा: और उन के साथ केताब और अद्ल (इंसाफ) की तराज़ू उतारी कि लोग इंसाफ पर कायम (अटल) हों, 
इसयन कुरआनी आयतों से हमें मालूम होता है कि नाप तौल मे इंसाफ से काम लिया जाए और कमी से बचा जाए बल्कि बचना ज़रूरी है वरना हम अल्लाह की ना फरमानी की वजह से अज़ाब के ज़िम्मादार जैसा कि हम से अगली उम्मत पर हुआ था,

:: ना हक तौलने वालों पर अजाब ::
सूरह आअराफ में है:
وَإِلَى مَدْيَنَ أَخَاهُمْ شُعَيْبًا قَالَ يَا قَوْمِ اعْبُدُواْ اللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَهٍ غَيْرُهُ قَدْ جَاءَتْكُم بَيِّنَةٌ مِّن رَّبِّكُمْ فَأَوْفُواْ الْكَيْلَ وَالْمِيزَانَ وَلاَ تَبْخَسُواْ النَّاسَ أَشْيَاءَهُمْ وَلاَ تُفْسِدُواْ فِي الأَرْضِ بَعْدَ إِصْلاحِهَا ذَلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ، (الاعراف 85)

तरजुमा:और मदयन की तरफ उन की बेरादरी से शोएब को भेजा (शोएब ने) कहा ऐ मेरी क़ौम अल्लाह की इबादत (पूजा) करो, इस के सिवा तुम्हारा कोई माअबूद (पुज्यनीय) नही, बेशक तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ से रोशन (खुली हुई) दलील आई (चमत्कार), तो नाप और तौल पूरी करो और लोगों की चीजे़ं घटा कर ना दो और जमीन में इंतेज़ाम के बाद फसाद ना फैलाओ यह तुम्हारा भला है अगर ईमान लाओ,

सूरह हूद में है:

وَاِلٰى مَدْيَنَ اَخَاهُـمْ شُعَيْبًا ۚ قَالَ يَا قَوْمِ اعْبُدُوا اللّـٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰـهٍ غَيْـرُهٝ ۖ وَلَا تَنْقُصُوا الْمِكْـيَالَ وَالْمِيْـزَانَ ۚ اِنِّـىٓ اَرَاكُمْ بِخَيْـرٍ وَّاِنِّـىٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ مُّحِيْطٍ (84) وَيَا قَوْمِ اَوْفُوا الْمِكْـيَالَ وَالْمِيْـزَانَ بِالْقِسْطِ ۖ وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ اَشْيَآءَهُـمْ وَلَا تَعْثَوْا فِى الْاَرْضِ مُفْسِدِيْنَ (الھود 84-85)
तरजुमा: और मदयन की तरफ उन के हम कौम शोएब को (भेजा, शोएब ने) कहा ऐ मेरी क़ौम! अल्लाह को पूजो उस के सिवा तुम्हारा कोई माअबूद (पुज्यनीय) नही और नाप और तौल में कमी ना करो बे शक मैं तुम्हे आसूदा हाल(कुशल मंगल) देखता हुं, और मुझे तुं पर घेर लेने वाले दिन के अजाब (दंड) का डर है, और ऐ मेरी क़ौम! नाप और तौल इंसाफ के साथ पूरी करो और लोगों को उन की चीज़ें घटा कर ना दो और ज़मीन में फसाद मचाते ना फिरो।

इन उपर की आयतों में हजरत शोएब علیہ السلام की कौम का जिक्र है,  हजरत शोएब علیہ السلام ने अपनी कौम को पहले तौहीद का आदेश दिया और उस के बाद उन के अन्दर जो बुराईयां थीं, उन से मना किया , उन में जो बुराई सब से ज़्यादा उन के अन्दर घर कर गई थीं, “वह नाप तौल में कमी थी,,  हजरत शोएब علیہ السلام इस बुराई से बार बार उन को रोकते रहे और खुदा के अज़ाब का डर दिलाते रहे कि अगर वह इस से नही रुके तो उन पर खुदा का ऐसा अजाब उतरेगा जिस में वह सब के सब बरबाद हो जाएंगे, मगर उन की कौम के घमंडी लोग इस से बाज नही आए, और  हजरत शोएब علیہ السلام को धमकी देने लगे कि हम तुम्हे और तुम्हारे साथ मुसलमानो को बस्ती से निकाल देंगे, इस के अलावा जो बुराईयां उन के अन्दर थीं वह उन से भी नहीं रुके, आखिर कार ऱब के अज़ाब में गिरफतार हुए और सब के सब हलाक हो गए,
उन की हलाकत का वाक्या कुरअान मजीद की जुबानी सुनिए,
فَأَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَأَصْبَحُواْ فِي دَارِهِمْ جَاثِمِينَ
الَّذِينَ كَذَّبُواْ شُعَيْبًا كَأَن لَّمْ يَغْنَوْا فِيهَا الَّذِينَ كَذَّبُواْ شُعَيْبًا كَانُواْ هُمُ الْخَاسِرِينَ.(الاعراف -91-92)
तरजुमा: तो उन्हे ज़लज़ले ने आ लिया, तो सुब्ह अपने घरों में ओंधे पङे रह गए शोएब को झुटलाने वाले, जैसा कि उन घरों में कभी रहे ही ना थे, शोएब को झुटलाने वाले ही तबाही में पङे।

हजरत इब्न अ़ब्बास ने फरमाया कि अल्लाह ने उस क़ौम पर जहन्नम (नर्क) का दरवाज़ा खोला और उन पर दोजख की तेज़ गर्मी भेजी जिस से सांस बंद हो गए, अब ना उन्हे साया काम देता था ना पानी,
इस हालत में वह तहखाना में घुस गए लेकिन वहां बाहर से ज्यादा गर्मी थी वहां से निकल कर जंगल की तरफ भागे, अल्लाह ने एक अब्र (बादल) जिस में ठंडी और अच्छी लगने वाली हवा थी उस के साए में आए और एक ने दुसरे को पुकार पुकार कर एकट्ठा कर लिया, मर्द औरत बच्चे सब एकट्ठा हो गए,तो वह अल्लाह के हुक्म (आदेश) से आग बन कर भङक उठा, तो वह उस में इस तरह जल गए जैसे भाङ में कोई चिज़ भुन जाती है।
यह हमारे लिए सीख है, लेहाजा हमें अपनी कमी देखनी चाहिए और उसे जल्द से जल्द समाप्त करनी चाहिए,यह बुराई बहुत पाई जाती है, खासकर व्यापारी इस में ज्यादा सम्मीलित हैं जो नापने तौलने का काम करते हैं,ऐसोंको जल्द से जल्द इस बुरी लत से बचना चाहिए। ||समाप्त||
(دس اھم احکام قرآن۹۵ تا ۹۸)


Thursday, September 27, 2018

मुसलमानों की आराम खोरी या हराम खोरी:नेयाज़ अहमद (हिन्दी अनुवादक)

लेखक: जावेद चौधरी::


हमने अपने 14सौ वर्षों के इतिहास में गैरों को इतना फतह नही किया जितना हम एक  दुसरे को फतह करते रहे,आप को शायद यह जान कर आश्चर्य होगा कि मुसलमानों नें दुनिया का 95% इलाक़ा इस्लामी सन की पहली शताब्दी में फतह कर लिया था ।
• मुसलमान 1350 साल उस एलाके के लिए एक दूसरे से लङते रहे,
• हमारे  ज्ञान, फलसफा, साइंस, और इजादात की 95% इतिहास भी सिर्फ 300साल तक घेरे हुए है,
• हम ने वाक़ई 1000 साल में जंगो के सिवा कुछ नही किया ,
• आप आज 2018 से हज़ार साल पीछे चले जाइए
आप को ..............
•महमूद गजनवी हिन्दुस्तान पर हमले करता मिलेगा,
सब से पहले मुल्तान पर हमला करके इस्माईली फिर्क़े के मुसलमानों का क़त्ल-ए-आम किया करता था और दौलत लूट ले जाता था,
• आप स्पेन में मुसलमान के हाथों मुसलमान  का गला कटते देखेंगे ,
• आप को तुर्की में सलजूक तलवारें  उठा कर फिरते नजर आएंगे,
• आप को अरब में लाशे बिखरी मिलेंगी,
• शिया सुन्नी - सुन्नी शिया के सर उतारते नज़र आएंगे,
• मुसलमान  मुसलमान  को फतह (विजय)  करता नज़र आएगा,
• मुसलमान  मुसलमान  की मस्जिदें जलाते दिखाई देंगे,
और........
•  आप मोमिन के हाथों मोमिनों के सरों के मिनार बनते देखेंगे,
• आप 1018ई0 से आगे आते चले जाएं आप के सारे तबक़ रोशन होते चले जाएंगे,
आप को.........
• मुसलमान मुसलमान की हत्या करते और उस के बीच हराम खोरी करते नजर आएंगे,
• हमने उस के बाद बाकी हजार साल तक हराम खोरी के सिवा कुछ नही किया ,

इस्लामी दुनिया हज़ार साल से.....

•कंघी से लेकर नील कटर (nail cutter) तक उन लोगों की इस्तेमाल कर रहा है ..जिन्हें हम दिन में पांच बार बद दुआएं देते हैं,
• आप कमाल देखिए, हम मस्जिदों यहुदियों के पंखे और AC लगा कर,
•इसाइयों की टोटियों से वज़ू करके,
• काफिरों (खुदा का ना मानने वाला) के साउंड सिस्टम पर अज़ान देकर,
और.....
• लादीनों (China) जाय नमाज (مُصلّٰی) पर सजदा करके सारी दुनिया के लादीनों (China) की बरबादी की बद दुआ करते हैं,
• हम दवाएं भी यहूदियों की खाते है,
• बारूद भी काफिरों का इस्तेमाल करते हैं ,
और

::पूरी दुनिया पर इस्लाम के विजयी होनेका स्वप्न भी देखते हैं ::

• आप को शायद यह जान कर आश्चर्य होगा कि हम खुद को दुनिया का सब से बहादुर क़ौम समझते हैं,

लोकिन........
हमने पिछले 500 वर्षो में काफिरों के खिलाफ कोई बड़ी जंग नही जीती, हम 5सदियों से मार और सिर्फ मार खा रहे हैं।

•प्रथम विश्व युद्ध से पहले पूरा अरब एक था यह खेलाफत-ए-उस्मानिया  का हिस्सा था,

•यूरोप ने 1918 में अरब को 12 देशों में बांट दिया, और विश्व की बहादुर क़ौम देखती की देखतू रह गई,

•हम अगर लड़ाकू थे, हमारा अगर लड़ने का 1400 वर्षों का तजरबा था को हम कम से कम लड़ाई ही में ‘‘प्रफेक्ट,, हो जाते,

•और कम से कम दुनिया के हर हथियार पे मैड बाई मुस्लिम (Made by Muslim) का ट्रेड मार्क ही लग जाता,

और...........
•हम अगर दुनिया की बहादुर फौज ही तयार कर लेते तो आज मार ना खा रहे होते,

•आज कम से कम इराक़, लीबिया, मिस्र, अफग़ानिस्तान, और शाम (सीरिया) मानवी विडंबना ना बन रहे होते,

::आप इस्लामी दुनिया की बद किस्मती (दुर्भाग्यता)देखिए::

•हम लोग आज युरोपिय बन्दूक़ों, टेंकों, तोपों, गोलों, गोलियों, और अमेरिकी जंगी जहाज़ों के बेगैर और उन की ‘‘war technologies,, की मदद के बेगैर काबा शरीफ की सुरक्षा भी नही कर सकते,

• हमारी शिक्षा का हाल यह है दुनिया की 100 ही यूनिवर्सीटियों की सूची में इस्लामी देशों की एक भी यूनिवर्सीटि नही आती,

• सारी इस्लामी दुनिया मिलकर जितने रिसर्च पेपर तयार करती है, वह अमेरिकी के एक शहर बोस्टन में होने वाली रिसर्च आधा बनता है,

• पूरी इस्लामी दुनिया के राजा इलाज के लिए युरोप और अमेरिका जाते हैं,

•यह अपने जीवन का आखरी हिस्सा यूरोप, अमेरिका, कैनेडा, और न्यूज़िलैंड में व्यतित (गूजारना) चाहते हैं,

•दुनिया का 90% इतिहास इस्लामी दुनिया में है लोकिन इस्लामी दुनिया के 90% खुश्हाल लोग घूमने फिरने के लिए  पश्चिमी देशों में जाते हैं,

• हम ने 500 साल से दुनिया को कोई दवा कोई हथियार, कोई नया फलसफा, कोई खुराक, कोई अच्छी पुस्तक, कोई नया खेल,
और कोई अच्छा कानून नहीं दिया,

• हमने अगर इन 500 वर्षों में कोई अच्छा जूता ही बना लिया होता तो हमारा फर्ज-ए- कफाया अदा हो जाता,

• हम हजार बरसों में साफ सुथरा मुत्रालय नहीं बना सके, हमने मोज़े,और सिलीपर चप्पल, और गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गरम लिबास तक नहीं बनाया,

• हमने अगर कुरान मजीद की छपाई के लिए कागज प्रिंटिंग मशीन और स्याही ही बना ली होती तो हमारी इज्जत रह जाती, मगर यह भी हमारे अलीमों की बुलंद सोच में बसने वाले ‘‘काफिरों,, ने ही बनाई है,

• हम तो काबा शरीफ के गिलाफ के लिए कपड़ा भी इटली से तैयार कराते हैं,

• हम तो मक्का मदीना के लिए साउंड सिस्टम भी यहूदी कंपनियों से खरीदते हैं,

•हमारे लिए आबे जमजम भी काफिर कंपनियां निकालती है,

• हमारी तस्बीहात और जा नमाज भी चीन से आती है,

• और हमारे अहराम और कफन भी जर्मन मशीनों पर तैयार होते हैं,
• हम माने या ना माने लेकिन यह सत्य है दुनिया के डेढ़ अरब मुसलमान खरीदार से ज्यादा कोई हैसियत नहीं रखते,

• यूरोप जीवन की नेमत तयार करता है बनाता है इस्लामी दुनिया तक पहुंचाता है,

और हम इस्तेमाल करते हैं.......

• और इसके बाद बनाने वालों को आँखें निकालते हैं, और उन पर लाखो मर्तबा लानत और मला मत भेज कर सर फख्र से ऊंचा करते हैं,

• आप विश्वास कीजिए जिस साल ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने सऊदी अरब को भेड़ देने से इंकार कर दिया उस साल मुसलमान हज पर कुर्बानी नहीं कर सकेंगे,

• और जिस दिन यूरोप और अमेरिका ने इस्लामी दुनिया को गाड़ियां, जहाज, और कंप्यूटर, बेचना बंद कर दिए हम उस दिन घरों में कैद होकर रह जाएंगे,
• हम शहर में नहीं निकल सकेंगे यह हैं हम और यह है हमारी औकात लेकिन आप किसी दिन अपने दावे सुन लें,
• आप उन नौजवानों के नारे सुन लें जो मैट्रिक का इम्तिहान पास नहीं कर सके,



जिन्हें पेच तक नहीं लगाना आता......
मगर जिस दिन उनके बुढे पिता की दिहाड़ी ना लगे उस दिन उनके घर चूल्हा नहीं जलता,

आप उनके नारे
 उनके दावे सुन लीजिए.....

• यह लोग पूरी दुनिया में इस्लाम (और अब सिर्फ अपने पीर साहब का) झंडा लहराना चाहते हैं,

• यह गैरों को नेस्तनाबूद करना चाहते हैं,

::आप अपने आलिम की तकरीर भी सुन लीजिए::

• अपने माइक की तार ठीक नहीं कर सकते यह अल्लाह और अल्लाह के रसूल का नाम अपने मुरीद को मार्क जुकरबर्ग (Facebook) के जरिए पहुंचाते हैं,

• यह लोगों को थूकने की तमीज नहीं सिखा सके,

• आज तक इब्ने कसीर.(महान इस्लामी विद्वान) इमाम गजाली (महान इस्लामी विद्वान) और मौलाना रूम से आगे नहीं बढ़ सके,

• पूरे इस्लामी देशों में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं जो इब्न अरबी (महान इस्लामी विद्वान) को समझने का दावा कर सके,

 इब्ने रुश्द (महान इस्लामी विद्वान) भी हमें यूरोप के स्कॉलर्स ने समझाया था,

• ईब्न होशाम (महान इस्लामी विद्वान) और इब्न इस्हाक़ (महान इस्लामी विद्वान) भी हम तक ऑक्सफोर्ड प्रिंटिंग प्रेस के जरिए पहुंचे थे,

• लेकिन आप अलीमों की तकरीर सुन लें आपको महसूस होगा कि पूरी दुनिया का सिस्टम इनके पीर साहब चला रहे हैं,

• यह जिस दिन आदेश देंगे उस दिन सूर्योदय नहीं होगा और यह जिस दिन फरमा देंगे उस दिन पृथ्वी पर अन्न (अनाज) नहीं उगेगा,

:: हमने आखिर आज तक किया क्या है::

 हम किस कर्म पर दुनिया की सबसे बड़ी कौम समझते हैं जो आज तक हर जुम्मा के खुतबा में गला फाड़ फाड़कर मुस्तफा का कानून पर फख्र करने के बावजूद उसे मुसलमानों के किसी भी मुल्क में लागू नहीं कर सके,

 मुझे आज तक इस सवाल का जवाब नहीं मिल सका::

 हम अगर दिल पर पत्थर रख कर यह सच मान लें तो फिर हमें पता चलेगा हमारी ‘‘हराम खोरी,, हमारी जींज का हिस्सा बन चुकी है।
{ہندی ترجمہ کرتے وقت کچھ جگہ لغوی معنہ کو نہ لکھکر عرفی و مفہومی معنہ کر دیا گیا تاکہ قاری کو سمجھنے میں آسانی ہںو،نیاز احمد ،}

लेखक: जावेद चौहदरी
मुरत्तिब,तर्जुमा: व तस्हील
 Neyaz Ahmad Nizami

Wednesday, September 12, 2018

हमारा कपड़ा कैसा हो?: नेयाज़ अहमद निज़ामी

इस्लाम और लेबास/इस्लामी पहनावा
इस्लाम और लेबास/इस्लामी पहनावा


सब से अच्छा कपड़ा कैसा हो?:
(1) रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया सब में अच्छे वह कपड़े जिन्हे पहन कर तुम खुदा की ज़्यारत (दर्शन) क़ब्रों, मस्जिदों में करो सफेद है।
यानी सफेद कपड़ो में नमाज़ पढना और मुर्दे को सफेद कफन पहनाना अच्छा है, (ابن ماجه)
(2) मुहम्मद ﷺ की कमिस की आस्तीन गट्टे तक थी (ترمذي و ابو داؤد)
हज़रत आएशा रजियल्लाहो अन्हा कहती हैं होज़ूर ﷺ ने फरमाया कपड़े को पूराना ना समझो जब तक पैवंद (चकती) ना लगा लो।(ترمذي)

अब्दुर्रहमान की बेटी हफसा हज़रत आएशा रजियल्लाहो अन्हा के पास बारीक दुपट्टा ओढ कर आईं हज़रत आएशा ने उनका दुपट्टा फाड़ दिया और मोटा दुपट्टा दे दिया। (امام مالك)

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जो कोई शोहरत का कपड़ा पहने क़यामत (प्रलय) के दिन अल्लाह उसे ज़िल्लत (रुस्वाई) का कपड़ा पहनाएगा,
शोहरत का कपड़ा यानी कोई तकब्बुर (घमंड) के तौर पर अच्छे कपड़े पहने, या जो कोई दर्वेश (फक़ीर) ना हो वह ऐसे कपड़े पहने जिस से लोग उसे दर्वेश समझें या आलिम (मौलाना,मोलवी,मुफ्ती वगैरह) ना हो और उन के कपड़े पहनकर लोगो के सामने आलीम होना जताता है, यानी कपड़े पहनने का मक़सद किसी खूबी को ज़ाहिर करना हो,
 (ابو داؤد و ابن ماجه)

हजरत अब-उल-अहवस के पिता जी कहते हैं मैं रसूलुल्लाह ﷺ के पास हाज़िर हुआ और मेरे कपड़े घटिया थे रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: क्या तुम्हारे पास माल नहीं?
मैने कहा हां है,
उन्होने कहा किस तरह का माल है?
मैने कहा उंट,गाय, बकरियां, घोड़े, ग़ुलाम,
उन्होने कहा जब खुदा नें तुम्हे माल दिया है तो उस की नेअमत व करामत का तुम पर असर दिखाई देना चाहिए (نسائي وغيره)

नबी रहमत ﷺ ने फरमाया सोना और रेशम मेरी उम्मत के औरतों पर हलाल (जायज़)है और मर्दों पर हराम, (ترمذي/نسائي)

कपड़ा पहनने की दुआ::
तिर्मीज़ी में है हजरत उमर रजियल्लाहो अन्हु ने नया कपड़ा पहना और यह पढा।
 الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي كَسَانِي مَا أُوَارِي بِهِ عَوْرَتِي ، وَأَتَجَمَّلُ بِهِ فِي حَيَاتِي,
फिर कहा कि मैने रसूलुल्लाह ﷺ से सुना कि जो कोई नया कपड़ा पहनते वक्त यह पढे और पूराने कपड़े को सदक़ा (दान) कर दे वह ज़िन्दगी में और मरने के बाद किन्फ व हिफ्ज़ व सतर (كنف،حفظ،و ستر) में रहेगा, तीनों शब्दों के एक ही माना है, यानी अल्लाह तआला उस का हाफिज़ व निगहबान है, और फरमाया जो कोई जिस क़ौम से तशब्बोह (रूप धारण) करे वह उसी मे से है,
नबी आखेरुज़्जमां ﷺ ने उस मर्द पर लानत की जो औरतों का कपड़ा पहनता है और उन औरतों पर लानत की जो मर्दाना लेबास पहनती है (ابو داؤد)

हमारा कपड़ा कैसा हो?

कितना कपड़ा पहनना ज़रूरी है:
इतना कपड़ा जिस से सतर-ए-औरत (छुपाने वाली जगह) हो जाए और गरमी ठंडी की तकलीफ से बचे  फर्ज़ है यानी जरूरी है और इस से ज़्यादा जिस से बनाव सिंगार करना मकसद हो और यह भी कि अल्लाह ने दिया है तो नेमत का इज़हार मकसद हो तो 'मुस्तह़ब, है।
खास मौक़े पर जैसे ईद या जुमा के दिन उम्दा कपड़े पहनना मुबाह है, इस तरह के कपड़े रोज़ ना पहने,
घमंड के तौर पे जो कपड़ा हो वह मना है ।

कपड़ा किस तरह का होना चाहिए:
बेहतर यह है कि उनी सूती या कतान के कपड़े बनवाया जाए जो सुन्नत हो,
ना बहुत उम्दा हो ना बहुत घटिया,बलकी बीच वाला कपड़ा हो,
सफेद कपड़े बेहतर हैं कि हजीस में इस की तारीफ आई है और स्याह (काला) कपड़े भी बेहतर है कि रसूलुल्लाह ﷺ फतह-ए-मक्का के दिन जब मक्का में आए तो सर पर काला अमामा था, कुछ किताबों में हरा कपड़ा भी सुन्नत लिखा है।

कपड़े की साईज़:
सुन्नत यह है कि दामन की लम्बाई आधी पिन्डली तक हो और आस्तीन की उंगलियों के पौरों तक, और चौड़ाई एक बालिश्त (बित्ता) हो,(ردُّالمُحتار)
कुर्ते की आस्तीन कहनियों से उपर रहती है,यह ःी सुन्नत के खेलाफ है,
हदीस में है कि إِيَّاكُمْ وَزِيَّ الأَعَاجِمِ यानी अजमियों के भेस से बचो, उन के जैसा फैशन ना बना लेना।
फोकहा (फक़ीह का बहुवचन) ओलमा (आलिम का बहुवचन) को ऐसा कपड़ा पहनना चाहिए कि वह पहचाने जाएं ताकि लोगों को उन फायदा लेने का मौक़ा मिले, और इल्म (ज्ञान) की वुक्अत लोगों को मिले,(رد المحتار)



मुरत्तिब,तर्जुमा: व तस्हील
 Neyaz Ahmad Nizami