रसुले करीम ﷺ ने फरमाया शाअबान की पन्द्रहवी रात की इबादत (पूजा) बहुत अफजल (अच्छा) है, उस रात अल्लाह तआ़ला अपने बन्दों के लिए बहुत सारे दरवाज़े अपनी रहमत के खोल देता है, इसी संदर्भ में इस रात करनो वाले कुछ नमाज़े और कुछ ज़िक्र (वज़ीफा) पेश हैं,
नफ्ल नमाज़ें:
(1) शाअबान की पन्द्रहवीं रात स्नान करे अगर किसी वजह से स्नान ना कर पाए तो वज़ू कर के दो रकाअत तहियतुल वज़ू (تحية الوضو) पढे, हर रकाअत में अलहम्दो के बाद आयतुल कुर्सी एक बार, सुरह अख़लास (कुल हुअल्लाहु अह़द) तीन तीन बार पढनी है।
(2) शाअबान की पन्द्रहवीं रात दो रकाअत नमाज़ पढे हर रकाअत में अलहम्दो के बाद आयतुल कुर्सी एक बार, सुरह अख़लास (कुल हुअल्लाहु अह़द) पन्द्रह पन्द्रह बार सलाम फेरने के बाद दोरूद शरीफ (जो दोरूद आप को याद हो) 100 बार पढ कर रिज़क़ की तरक्की के लिए दुआ करे, इन्शा अल्लाह इस नमाज़ की वजह से बरकत होगी,
(اوقات الصلوۃ ص 22)