हलाल जानवरों के सभी बदन के हिस्सों का खाना हलाल यानी जायज़ हैं, मगर कुछ हिस्से ऐसे हैं जो हराम या मना या मकरूह हैं।
और वह 22 हैं, जिस का विवरण इस प्रकार हैं।
1 रगों का खून,
2 पित्ता,
3 मसाना,
4 - 5 नर मादा पहचानने की जगह,
6 बैज़े(कपूरे),
7 ग़दूद (गलदोद),
8 हराम मगज़,
9 गरदन के दो पट्ठे,
10 जिगर का खून,
11 तिल्ली का खून,
12 ग़ोश्त खून जो ज़बह करने के बाद निकलता है,
13 दिल का खून,
14 पित्त यानी वह पिला पानी जो पित्ते में होता है,
15 नाक का पानी,
16 पाखाना करने की जगह,
17 ओझङी,
18. आंत(अंतङी),
19 नुत्फा (विर्य),
20 वह नुत्फा (विर्य) कि खून हो गया,
21वह नुत्फा (विर्य)कि गोश्त का लोथङा हो गया,
22 वह नुत्फा (विर्य)कि पूरा जानवर बन गया और मुर्दा निकला या बेगैर ज़बह मर गया।
(فتوٰی رضویہ جلد 20 صفحہ 240/241)
नोट: इन 22 जगहों को छोङकर बाकी सब का खाना हलाल है, कोई धार्मिक दृष्टीकोण सो कोई हर्ज नही।
और वह 22 हैं, जिस का विवरण इस प्रकार हैं।
1 रगों का खून,
2 पित्ता,
3 मसाना,
4 - 5 नर मादा पहचानने की जगह,
6 बैज़े(कपूरे),
7 ग़दूद (गलदोद),
8 हराम मगज़,
9 गरदन के दो पट्ठे,
10 जिगर का खून,
11 तिल्ली का खून,
12 ग़ोश्त खून जो ज़बह करने के बाद निकलता है,
13 दिल का खून,
14 पित्त यानी वह पिला पानी जो पित्ते में होता है,
15 नाक का पानी,
16 पाखाना करने की जगह,
17 ओझङी,
18. आंत(अंतङी),
19 नुत्फा (विर्य),
20 वह नुत्फा (विर्य) कि खून हो गया,
21वह नुत्फा (विर्य)कि गोश्त का लोथङा हो गया,
22 वह नुत्फा (विर्य)कि पूरा जानवर बन गया और मुर्दा निकला या बेगैर ज़बह मर गया।
(فتوٰی رضویہ جلد 20 صفحہ 240/241)
नोट: इन 22 जगहों को छोङकर बाकी सब का खाना हलाल है, कोई धार्मिक दृष्टीकोण सो कोई हर्ज नही।
नेयाज़ अहमद निज़ामी
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