neyaz ahmad nizami

Tuesday, May 9, 2017

शअबान का महीना




शअबान का मतलब::
शअबान इस्लामी महीनों में से 8वीं महीना है, अरब के लोग शअबान के महीने में अपने घरों और ख़ेमों से निकल कर पानी की तलाश में दूर दूर तक निकल जाते थे और अक्सर लोग अपने क़बीलों से जूदा हो जाते थे इस लिए इस महीने का नाम शअबान पङ गया। (لسان العرب 8/87، داراصادر بیروت)

शअबान में अल्लाह तआला अपने बन्दों के लिए बहुत ज़्यादा ख़ैर (भलाई) व बरकत नाज़ील फरमाता  (उतारता)  है और साल भर होने वाला काम और बन्दों को मिलने वाला रिज़्क़ इसी महीना में बांटा जाता है। इस लिए इस महीना को शअबान कहा जाता है।
रजब के महीने की पहली तारीख को प्यारे  नबी ﷺ की नज़र चांद पर पङती तो अपना हाथ उठा कर यह दुआ करते
( اللَّهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِي رَجَب، وَشَعْبَانَ، وَبَلِّغْنَا رَمَضَانَ )
यानी: ऐ अल्लाह रजब और शअबान को बा बरकत (बरकत वाला) बना और हम को रमज़ान तक पहुंचा।


इस्लामी विद्वान फरमाते हैं की शअबान (شعبان) शब्द में एक बहुत बेहतरीन राज़ छुपा है वह यह कि शअबान (شعبان)  के अन्दर पांच हरूफ (अक्षर) हैं
1 शीन (ش)
2 ऐन.  (ع)
3 बा    (ب)
4 अलिफ (ا)
5 नून    (ن)

शीन (ش) से मुराद शर्फ (बुजुर्गी) है,यानी इस महीना को दूसरे महीनों पर सेवाए रमज़ान के खास बुजुर्गी हासिल है।

ऐन  (ع)  से मुराद उक़बा है, यानी इस बात की तरफ इशारा है कि शअबान की अज़मत करने वाले की दुनिया में इज़्ज़त होगी और आख़ेरत में बङा मरतबा मिलेगा।

बा  (ب)  से मुराद बरकत, बहबूद, बेहतरी और बोहतात है, यानी इस बात की तरफ इशारा है  कि दुनिया में बरकत व बहबूद हासिल होगी और क़ब्र में रोशनी की बोहतात (ज़्यादती) होगी और क़्यामत के मैदान में दरजात बुलन्द होंगे।

अलिफ (ا)  से मुराद अमन व अमान और उल्फत व अनवार है, यानी शअबान की इज़्ज़त करने वाले को दुनिया में अमन व अमान मिलेगा और आखेरत के दिन अमान हासिल होगा, वह क़्यामत की हौलनाकियों से महफूज़ रहेगा।

 नून  (ن) से मुराद नार (आग) है, यानी शअबान की खैर व बरकत हासिल करने वाला जहन्नम से निजात (छुटकारा) पाएगा और इस महीना में नफ्ल नमाज़ पढने वाले के दिल में नूर पैदा होता है और जो शख्स शअबान की अज़मत का लेहाज़ रखता है और इस की ताज़ीम करता है उस को दुनिया में इमान का नूर और आखेरत में आग से निजात (छुटकारा) मिलती है।। (غنیۃ الطالبین 1/188)


शअबान की फज़ीलत::
सय्यदे आलम ﷺ ने शब-ए-मेराज (मेराज की रात) अल्लाह तआला की बारगाह में मुनाजात की थी कि
अए अल्लाह! तुने हज़रत मुसा علیہ السلام को अ़सा (डंडा) दिया था, मुझे अपनी बारगाह से क्या चीज़ एनायत की?
अल्लाह तआला ने फरमाया आप को शअबान का महीना दिया,यह महीना आप की उम्मत के गुनाहों और शैतानी फरेब कारियों को दूर करेगा और सारे गुनाहों को मिटा देगा।

तमाम नबियों के सरदार जनाब अहमदे मुज्तबा ﷺ ने फरमाया:
رجب شھر اللہ و شعبان شھری و رمضان شھر امتی
यानी: रजब अल्लाह का महीना है, और शअबान मेरा महीना है, और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है।

प्यारे आक़ा व मौला मुहम्मद मुस्तफा ﷺ ने शअबान के बारे में फरमाया:
فضل شعبان شھری علٰی سائرالشھور کفضلی علٰی سائرالانبیاء۔
यानी: मेरे महीना शअबान को तमाम महीनों पर ऐसी फज़ीलत हासील है, जैसी मुझे फज़ीलत हासिल है तमाम नबियों पर। (شعب الایمان 3/369)

इसी मुबारक महीना में चांद को दो टुकङे करने वाला मोअजेज़ा भी नबी अलैहिस्सलाम से हुआ था।
अल्लामा इब्न हजर अ़स्कलानी फरमाते हैं कि
شعبان انشق فیہ القمر لسید ولد عدنان
यानी: शअबान वह मुबारक महीना हैजिस में होज़ूर ﷺ से चांद दो टुकङा हुआ।

हज़रते ओसामा रज़िृल्लाहु अन्हू फरमाते हैं कि मैने अर्ज़ की या रसूलल्लाह ﷺ मैं देखता हूं कि जिस तरह आप ﷺ शअबान में रोज़े रखते हैं इस तरह किसी भी महीना में नहीं रखते ?
नबी ﷺ ने फरमाया कि रजब और रमज़ान के बीच में यह महीना है, लोग इस से ग़ाफिल हैं इस में लोगों के आमाल अल्लाह की तरफ उठाए जाते हैं और मुझे यह महबूब है कि मेरा अ़मल इस हाल में उठाया जाए कि मैं रोज़ादार हूं। سنن نسائی ص 387حدیث 2354

(استفادہ از :  آقا کا مہینہ و منیرالایمان فی فضائل شعبان)

इस के अलावा भी दरजनों हदीसें हैं जिस में शअबान की अज़मत व फज़ीलत का ज़िक्र बार बार वारिद हुआ है और यही वह अज़मत वाला महीना है जिस में शब-ए-बरात जैसी अज़ीम रात भी है ,मैं कहता हूं एक मुसलमान के लिए इतना ही काफी है कि इस महीना को प्यारे आक़ा ﷺ नें रमज़ान के बाद सब से ज़्यादा महबूब रखा है,इस महीना में नबीﷺका  रोज़ा की कसरत फरमाना ही इस बात पर दलील है कि य़ह महीना अपने अन्दर कितनी बरकत समेटे हुए है। واللہ اعلم








मुरत्तिब,तरजुमा व तस्हील
 Neyaz Ahmad Nizami

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