neyaz ahmad nizami

Tuesday, June 6, 2017

गर्मी की दुआ व इस का जन्म



जिस तरह हर चीज़ का पैदा करने वाला अल्लाह है,जैसा कि क़ूरआन में कहा गया है
  خَالِقُ كُلِّ شَيْءٍ तर्जुमा: हर चीज़ का पैदा करने वाला (س:الانعام، ت:102، پ7)
 यानी रब हर चीज़ का बनाने वाला है,ज़ाहिर सी बात है इस हर चीज़ में गर्मी,और ठंडी भी आ गई,लेहाज़ा रब की किसी चीज़ पर एतराज़ करना रब ही पर एतराज़ करना है जो एक मोमिन का शेवा हो ही नही सकता, इस लिए कभी जिन्दगी के ऐसे मोङ पे खङे हों तो ज़ुबान से ऐसे शब्दो का प्रयोग ना करें जिस से अल्लाह की शान में ज़र्रा बराबर भी तौहिन,गुस्ताखी,नज़र आए। बल्कि हर हाल में रब का शुक्र ही अदा करनी चाहिए
 وَاشْكُرُوا لِي وَلَا تَكْفُرُونِ
तर्जुमा: मेरा हक़ मानो और ना फरमानी ना करो,(سورہ بقرہ152)

इसी लिए खुशी हो या ग़म हर हाल में अल्लाह को याद करने का हुक्म है,और इस्लाम ने हमें हर मोङ पे रहनुमाई (मार्गदर्शन) की है।।

::गरमी व सर्दी की पैदाइश (जन्म)::
गरमी जो हम दुनिया में महसूस करते हैं इसकी एक खास वजह है हदीस शरीफ में है कि

عن أَبی هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ يَقُولُ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ اشْتَكَتْ النَّارُ إِلَى رَبِّهَا فَقَالَتْ رَبِّ أَكَلَ بَعْضِي بَعْضًا فَأَذِنَ لَهَا بِنَفَسَيْنِ نَفَسٍ فِي الشِّتَاءِ وَنَفَسٍ فِي الصَّيْفِ فَأَشَدُّ مَا تَجِدُونَ مِنْ الْحَرِّ وَأَشَدُّ مَا تَجِدُونَ مِنْ الزَّمْهَرِيرِ ( صحيح بخاری: 3260)
तर्जुमा: अबू हुरैरा رضی اللہ عنہ से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल ﷺ ने फरमाया"जहन्नम ने अपने रब से शिकायत करते हुए कहा ऐ मेरे रब ! मेरे एक हिस्से ने दूसरे हिस्से को खा लिया तो अल्लाह ने उस के लिए दो सांसें लेने की इजाज़त दे दी ,एक सांस सर्दी के मौसम में और दूसरी सांस गर्मी के मौसम में,यही वजह है जो तुम तेज़ गरमी महसूस करते हो,और यही वजह है जिस से तेज़ सर्दी महसूस करते हो,

::गर्मी महसूस होने पर दुआ::
जिस नबी ﷺ ने हमें क़दम क़दम पे जीना सिखाया तो ऐसा कैसे हो सकता है कि गर्मी के तेज़ मौसम के बारे में कुछ ना कहा हो चुनांन्चे हदीस शरीफ में फरमाया गया,

 إِذَا كَانَ يَوْمٌ حَارٌّ فَقَالَ الرَّجُلُ : لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ ، مَا أَشَدَّ حَرَّ هَذَا الْيَوْمِ ، اللَّهُمَّ أَجِرْنِي مِنْ حَرِّ جَهَنَّمَ ، قَالَ اللَّهُ عَزَّ وَجَلَّ لِجَهَنَّمَ : إِنَّ عَبْدًا مِنْ عِبَادِي اسْتَجَارَ بِي مِنْ حَرِّكِ ، فَاشْهَدِي أَنِّي أَجَرْتُهُ .

तर्जुमा: जिस दिन गर्मी तेज़ होती है तो बन्दा कहता है "ला इलाहा इल्लल्लाहु मा अशद्दा हर्रा हाज़ल यौमे,आल्लाहुम्मा अजिर्नी मिन हर्रे जहन्नम„ अल्लाह दोज़ख से फरमाता है मेरा बन्दा मुझ से तेरी गर्मी से पनाह मांग रहा  है  पस मैं तुझे गवाह बनाता हूं कि मैने इसे तेरी गर्मी से पनाह दी।(البدور السافرۃ ص418 حدیث 1495)

दुआ एंव तर्जुमा: "ला इलाहा इल्लल्लाहु मा अशद्दा हर्रा हाज़ल यौमे,आल्लाहुम्मा अजिर्नी मिन हर्रे जहन्नम„
नहीं है कोई पुज्यनीय सेवाए अल्लाह के आज बङी गर्मी है  ऐ अल्लाह मुझे जहन्नम की गर्मी से पनाह दे।।

गर्मी का मौसम भी अल्लाह की नेमत है और ईस में बहुत सारी हिकमतें हैं जो हमारी समझ से बहुत उपर  हैं इस लिए गर्मी तेज़ हो जाए तो सब्र से काम लेना चाहिए.      ( फक़त ) [गर्मी से हिफाज़त के मदनी फूल]

मुरत्तिब,तर्जुमा: व तस्हील
 Neyaz Ahmad Nizami


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