हदीस::
عَنْ أَبِي أَيُّوبَ الْأَنْصَارِيِّ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: "مَنْ صَامَ رَمَضَانَ ثُمَّ أَتْبَعَهُ سِتًّا مِنْ شَوَّالٍ كَانَ كَصِيَامِ الدَّهْرِ"
तर्जुमा: हज़रत अबू अय्यूब رضی اللہ عنہसे रेवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: "जिसने रमज़ान के रोज़े रखे फिर उस के बाद छ: रोज़े शव्वाल के रख लिए तो उस ने गोया हमेशा रोज़े रखे (मुस्लिम) ।
(ریاض الصالحین جلد دوم ص 120)
हदीस:: रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: जिस ने ईद उस फित्र के बाद छ:रोजे़ रख लिए तो उसने पूरे साल का रोज़ा रखा , वह इस तरह कि "जो एक नेकी लाएगा उसे दस मिलेंगी तो रमज़ान के महीने का रोज़ा 10महीने के बराबर है और इन छ: दिनों के बदले में दो महीने„ तो पूरे साल के के रोज़े हो गए।
हदीस:: अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा रावी कि रसूलुल्लाह ﷺ फरमाते हैं: जिस ने रमज़ान के रोज़े रखे फिर उस के बाद छ:दिन शव्वाल में रखे तो गुनाहों से ऐसे निकल गया, जैसे आज मां के पेट से पैदा हुआ है।
(بہار شریعت ج اول ص 1010)
नोट: बेहतर यह है कि यह रोज़े अलग अलग रखे जाएं ,और अगर ईद के बाद लगातार छ: दिन में एक साथ रख लिए तब भी कोई बात नही (حاشیہ بہار شریعت ج اول ص 1010)
तालीफ
Neyaz Ahmad Nizami
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