neyaz ahmad nizami

Thursday, April 5, 2018

गुनाहो का तआरुफ यानी पापों का परिचय, नेयाज़ अहमद निज़ामी


गुनाह यानी पाप की दो क़िस्में हैं
1- गुनाहे सगीरा (छोटे छोटे गुनाह),
2- गुनाहे कबीरा (बङे बङे गुनाह),
गुनाहे सगीरा नेकियों (पुन्य) और एबादतों (पुजा पाट) की बरकत से मोआफ हो जाते हैं, जबकि गुनाहे कबीरा उस समय तक मोआफ नही होते जब तक कि आदमी सच्ची तौबा (पश्चाताप) करके लोगों के हक़ को मोआफ ना करा ले,
गुनाहे कबीरा(बङे गुनाह)किसे कहते हैं?
गुनाहे कबीरा हर उस गुनाह को कहते हैं, जिस से बचने पर अल्लाह तआला ने मग़फिरत (बख्शिश) का वादा फरमाया है।(حاشیہ بخاری ص 36)
और कुछ आ़लिमों ने कहा है कि हर वह गुनाह जिस के करने वाले पर अल्लाह व रसूल ने अज़ाब (दण्ड) सुनाई,या लानत फरमाई या अ़ज़ाब की ज़िक्र फरमाया।

गुनाहे कबीरा(बङे गुनाह) कौन कौन हैं?
गुनाहे कबीरा की तादाद (गिन्ती/मात्रा) बहुत ज़्यादा है मगर उन में से कुछ मश्हूर गुनाह यह हैं,
(1)शिर्क करना (2)जादू करना (3)हत्या करना (4)सूद खाना (5)यतीम का माल खाना (6)काफिरो से जिहाद के समय भाग जाना (7)किसी औरत पर ब्लात्कार का इल्ज़ाम लगाना (8)ज़िना (ब्लात्कार) करना (9)अग़लाम बाज़ी (मर्द मर्द से सेक्स) करना (10)चोरी करना (11)शराब पीना (12)झूट बोलना (13)झूटी गवाही देना (14)ज़ुल्म(अत्याचार) करना (15)डाका डालना (16) माता पिता को तकलीफ देना (17)हैज (मासिक खून) के समय और नेफास(बच्चा के पैदा होने के बाद का खून) के समय पत्नी से सोहबत (सेक्स) करना (18)जुआ खेलना (19)गुनाहे सगीरा (छोटे गुनाह) बार बार करना, (20)अल्लाह की रहमत से ना उम्मीद हो जाना, (21)अल्लाह के अज़ाब से निडर हो जाना, (22)नाच देखना (23)औरतो का बेपर्दा घूमना, (24)नापतौल में कमी करना (25)चुग्लीखाना (26)गीबत करना (27)दो मुस्लिमों को आपस में लङाना, (28)अमानत को हङपना, (29)किसी का माल ज़मीन आदि हङपना, (30)नमाज़ रोज़ा हज ज़कात जैसे फराएज़ को छोङना, (31)मुसलमानों को गाली देना,उनसे बेला वजह मार पीट करना वगैरह वगैरह सैंकङो गुनाहे कबीरा हैं,
और साथ में दूसरों को भी इन पापों से रोकना ज़रूरी है।
हदीस शरीफ में है कि अगर किसी मुसलमान को कोई गुनाह (पाप) करते देखे तो ज़रूरी है अपना हाथ बढा कर उस को पाप के करने से रोक दे, और अगर हाथ से रोकने की शक्ती ना हो तो कम से कम अपने दिल से उस पाप को बुरा समझ कर उस से नफरत ज़ाहिर करे और यह इमान का बहुत ही कमज़ोर दर्जा है, (مشکٰوۃ شریف ج2ص 437)
हदीस मे है कि कोई आदमी किसी क़ौम (क़बीला) में रहकर गुनाह का काम करे और वह कबूला शक्ती होने के बावजूद उस आदमी को गुनाह करने सो ना रोके तो अल्लाह तआला उस एक आदमी की वजह से पूरे क़बीले को उन के मरने से पहले अज़ाब मे डालेगा, (مشکٰوۃ جلد 2 صفحہ 437)
गुनाहों से दुनिया मे नुक्सान
गुनाहों के  प्रकोप से दुनिया में भी नुक्सान पहुंचते रहते हैं जिन में से कुछ यह हैं।
(1)रोज़ी कम होना, (2)मुसीबतों का ज़्यादा होना, (3)उम्र कम होना, (4)दिल में और कभी कभी तमाम बदन में अचानक कमज़ोरी होकर सेहत खराब हो जाना, (5)इबादत से महरूम हो जाना, (6)लोगों में ज़लील और रुस्वा हो जाना, (7)दिमाग में उल्टी सीधी बात का आना, (8)खेतों और बागों की पैदावार में कमी होना, (9)नेमतों का छिन जाना, (10)हर समय दिल का परिशान होना, (11)अचानक ला इलाज बिमारी मे पङ जाना, (12)अल्लाह और फरिश्ते और बन्दों की लानत का होना, (13)चेहरे का बे नूर या रौनक का ना होना, (14)बेशर्म हो जाना, (15)मरते समय मुंह से कलमा ता ना निकलना, गुनाहों (पापों) से दुनियावी बङे बङे नुकसाना होते हैं,।
{जन्नती ज़ेवर पेज107से109 तक}
मुरत्तिब,तर्जुमा: व तस्हील
 Neyaz Ahmad Nizami


No comments:

Post a Comment