neyaz ahmad nizami

Friday, September 28, 2018

नाप तौल इंसाफ से करो:मो0 ज़ीशान रज़ा मिस्बाही (हिन्दी:नेयाज़ अहमद



रब फरमाता है:
وَأَوْفُواْ الْكَيْلَ وَالْمِيزَانَ بِالْقِسْطِ لاَ نُكَلِّفُ نَفْسًا إِلاَّ وُسْعَهَا, (سورہ الانعام ۱۵۲)
तरजुमा: और नाप और तौल इंसाफ के साथ पूरी करो,  हम किसी जान पर बोझ नहीं डालते मगर उस के मक़दूर (ताकत) भर।

दूसरी जगह अल्लाह फरमाता है:
وَأَوْفُوا الْكَيْلَ إِذَا كِلْتُمْ وَزِنُوا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِيمِ ۚ ذَٰلِكَ خَيْرٌ وَأَحْسَنُ تَأْوِيلًا (سورہ الانعام ۳۵)
तरजुमा: और नापो तो पूरा नापो और बराबर तराजू से तौलो, यह बेहतर है और इस का परिणाम अच्छा।

सुरह रहमान में है:
وَوَضَعَ الْمِيزَانَ أَلَّا تَطْغَوْا فِي الْمِيزَانِ وَأَقِيمُوا الْوَزْنَ بِالْقِسْطِ وَلَا تُخْسِرُوا الْمِيزَانَ،(سورہ الرحمن ۷-۸-۹)
तरजुमा: यानी अल्लाह ने तराज़ू रखा ताकि उस से चीज़ों (वस्तुओं) की कमी ज़्यादती मालूम हो जाएं और लेन देन में इंसाफ बना रहे,और किसी का कोई हक़ ना मार सके,

सुरह हदीद में है:
وَأَنْزَلْنَا مَعَهُمُ الْكِتَابَ وَالْمِيزَانَ لِيَقُومَ النَّاسُ بِالْقِسْطِ ۖ (الحدید 25)
तरजुमा: और उन के साथ केताब और अद्ल (इंसाफ) की तराज़ू उतारी कि लोग इंसाफ पर कायम (अटल) हों, 
इसयन कुरआनी आयतों से हमें मालूम होता है कि नाप तौल मे इंसाफ से काम लिया जाए और कमी से बचा जाए बल्कि बचना ज़रूरी है वरना हम अल्लाह की ना फरमानी की वजह से अज़ाब के ज़िम्मादार जैसा कि हम से अगली उम्मत पर हुआ था,

:: ना हक तौलने वालों पर अजाब ::
सूरह आअराफ में है:
وَإِلَى مَدْيَنَ أَخَاهُمْ شُعَيْبًا قَالَ يَا قَوْمِ اعْبُدُواْ اللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَهٍ غَيْرُهُ قَدْ جَاءَتْكُم بَيِّنَةٌ مِّن رَّبِّكُمْ فَأَوْفُواْ الْكَيْلَ وَالْمِيزَانَ وَلاَ تَبْخَسُواْ النَّاسَ أَشْيَاءَهُمْ وَلاَ تُفْسِدُواْ فِي الأَرْضِ بَعْدَ إِصْلاحِهَا ذَلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ، (الاعراف 85)

तरजुमा:और मदयन की तरफ उन की बेरादरी से शोएब को भेजा (शोएब ने) कहा ऐ मेरी क़ौम अल्लाह की इबादत (पूजा) करो, इस के सिवा तुम्हारा कोई माअबूद (पुज्यनीय) नही, बेशक तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ से रोशन (खुली हुई) दलील आई (चमत्कार), तो नाप और तौल पूरी करो और लोगों की चीजे़ं घटा कर ना दो और जमीन में इंतेज़ाम के बाद फसाद ना फैलाओ यह तुम्हारा भला है अगर ईमान लाओ,

सूरह हूद में है:

وَاِلٰى مَدْيَنَ اَخَاهُـمْ شُعَيْبًا ۚ قَالَ يَا قَوْمِ اعْبُدُوا اللّـٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰـهٍ غَيْـرُهٝ ۖ وَلَا تَنْقُصُوا الْمِكْـيَالَ وَالْمِيْـزَانَ ۚ اِنِّـىٓ اَرَاكُمْ بِخَيْـرٍ وَّاِنِّـىٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ مُّحِيْطٍ (84) وَيَا قَوْمِ اَوْفُوا الْمِكْـيَالَ وَالْمِيْـزَانَ بِالْقِسْطِ ۖ وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ اَشْيَآءَهُـمْ وَلَا تَعْثَوْا فِى الْاَرْضِ مُفْسِدِيْنَ (الھود 84-85)
तरजुमा: और मदयन की तरफ उन के हम कौम शोएब को (भेजा, शोएब ने) कहा ऐ मेरी क़ौम! अल्लाह को पूजो उस के सिवा तुम्हारा कोई माअबूद (पुज्यनीय) नही और नाप और तौल में कमी ना करो बे शक मैं तुम्हे आसूदा हाल(कुशल मंगल) देखता हुं, और मुझे तुं पर घेर लेने वाले दिन के अजाब (दंड) का डर है, और ऐ मेरी क़ौम! नाप और तौल इंसाफ के साथ पूरी करो और लोगों को उन की चीज़ें घटा कर ना दो और ज़मीन में फसाद मचाते ना फिरो।

इन उपर की आयतों में हजरत शोएब علیہ السلام की कौम का जिक्र है,  हजरत शोएब علیہ السلام ने अपनी कौम को पहले तौहीद का आदेश दिया और उस के बाद उन के अन्दर जो बुराईयां थीं, उन से मना किया , उन में जो बुराई सब से ज़्यादा उन के अन्दर घर कर गई थीं, “वह नाप तौल में कमी थी,,  हजरत शोएब علیہ السلام इस बुराई से बार बार उन को रोकते रहे और खुदा के अज़ाब का डर दिलाते रहे कि अगर वह इस से नही रुके तो उन पर खुदा का ऐसा अजाब उतरेगा जिस में वह सब के सब बरबाद हो जाएंगे, मगर उन की कौम के घमंडी लोग इस से बाज नही आए, और  हजरत शोएब علیہ السلام को धमकी देने लगे कि हम तुम्हे और तुम्हारे साथ मुसलमानो को बस्ती से निकाल देंगे, इस के अलावा जो बुराईयां उन के अन्दर थीं वह उन से भी नहीं रुके, आखिर कार ऱब के अज़ाब में गिरफतार हुए और सब के सब हलाक हो गए,
उन की हलाकत का वाक्या कुरअान मजीद की जुबानी सुनिए,
فَأَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَأَصْبَحُواْ فِي دَارِهِمْ جَاثِمِينَ
الَّذِينَ كَذَّبُواْ شُعَيْبًا كَأَن لَّمْ يَغْنَوْا فِيهَا الَّذِينَ كَذَّبُواْ شُعَيْبًا كَانُواْ هُمُ الْخَاسِرِينَ.(الاعراف -91-92)
तरजुमा: तो उन्हे ज़लज़ले ने आ लिया, तो सुब्ह अपने घरों में ओंधे पङे रह गए शोएब को झुटलाने वाले, जैसा कि उन घरों में कभी रहे ही ना थे, शोएब को झुटलाने वाले ही तबाही में पङे।

हजरत इब्न अ़ब्बास ने फरमाया कि अल्लाह ने उस क़ौम पर जहन्नम (नर्क) का दरवाज़ा खोला और उन पर दोजख की तेज़ गर्मी भेजी जिस से सांस बंद हो गए, अब ना उन्हे साया काम देता था ना पानी,
इस हालत में वह तहखाना में घुस गए लेकिन वहां बाहर से ज्यादा गर्मी थी वहां से निकल कर जंगल की तरफ भागे, अल्लाह ने एक अब्र (बादल) जिस में ठंडी और अच्छी लगने वाली हवा थी उस के साए में आए और एक ने दुसरे को पुकार पुकार कर एकट्ठा कर लिया, मर्द औरत बच्चे सब एकट्ठा हो गए,तो वह अल्लाह के हुक्म (आदेश) से आग बन कर भङक उठा, तो वह उस में इस तरह जल गए जैसे भाङ में कोई चिज़ भुन जाती है।
यह हमारे लिए सीख है, लेहाजा हमें अपनी कमी देखनी चाहिए और उसे जल्द से जल्द समाप्त करनी चाहिए,यह बुराई बहुत पाई जाती है, खासकर व्यापारी इस में ज्यादा सम्मीलित हैं जो नापने तौलने का काम करते हैं,ऐसोंको जल्द से जल्द इस बुरी लत से बचना चाहिए। ||समाप्त||
(دس اھم احکام قرآن۹۵ تا ۹۸)


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