neyaz ahmad nizami

Wednesday, September 12, 2018

हमारा कपड़ा कैसा हो?: नेयाज़ अहमद निज़ामी

इस्लाम और लेबास/इस्लामी पहनावा
इस्लाम और लेबास/इस्लामी पहनावा


सब से अच्छा कपड़ा कैसा हो?:
(1) रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया सब में अच्छे वह कपड़े जिन्हे पहन कर तुम खुदा की ज़्यारत (दर्शन) क़ब्रों, मस्जिदों में करो सफेद है।
यानी सफेद कपड़ो में नमाज़ पढना और मुर्दे को सफेद कफन पहनाना अच्छा है, (ابن ماجه)
(2) मुहम्मद ﷺ की कमिस की आस्तीन गट्टे तक थी (ترمذي و ابو داؤد)
हज़रत आएशा रजियल्लाहो अन्हा कहती हैं होज़ूर ﷺ ने फरमाया कपड़े को पूराना ना समझो जब तक पैवंद (चकती) ना लगा लो।(ترمذي)

अब्दुर्रहमान की बेटी हफसा हज़रत आएशा रजियल्लाहो अन्हा के पास बारीक दुपट्टा ओढ कर आईं हज़रत आएशा ने उनका दुपट्टा फाड़ दिया और मोटा दुपट्टा दे दिया। (امام مالك)

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जो कोई शोहरत का कपड़ा पहने क़यामत (प्रलय) के दिन अल्लाह उसे ज़िल्लत (रुस्वाई) का कपड़ा पहनाएगा,
शोहरत का कपड़ा यानी कोई तकब्बुर (घमंड) के तौर पर अच्छे कपड़े पहने, या जो कोई दर्वेश (फक़ीर) ना हो वह ऐसे कपड़े पहने जिस से लोग उसे दर्वेश समझें या आलिम (मौलाना,मोलवी,मुफ्ती वगैरह) ना हो और उन के कपड़े पहनकर लोगो के सामने आलीम होना जताता है, यानी कपड़े पहनने का मक़सद किसी खूबी को ज़ाहिर करना हो,
 (ابو داؤد و ابن ماجه)

हजरत अब-उल-अहवस के पिता जी कहते हैं मैं रसूलुल्लाह ﷺ के पास हाज़िर हुआ और मेरे कपड़े घटिया थे रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: क्या तुम्हारे पास माल नहीं?
मैने कहा हां है,
उन्होने कहा किस तरह का माल है?
मैने कहा उंट,गाय, बकरियां, घोड़े, ग़ुलाम,
उन्होने कहा जब खुदा नें तुम्हे माल दिया है तो उस की नेअमत व करामत का तुम पर असर दिखाई देना चाहिए (نسائي وغيره)

नबी रहमत ﷺ ने फरमाया सोना और रेशम मेरी उम्मत के औरतों पर हलाल (जायज़)है और मर्दों पर हराम, (ترمذي/نسائي)

कपड़ा पहनने की दुआ::
तिर्मीज़ी में है हजरत उमर रजियल्लाहो अन्हु ने नया कपड़ा पहना और यह पढा।
 الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي كَسَانِي مَا أُوَارِي بِهِ عَوْرَتِي ، وَأَتَجَمَّلُ بِهِ فِي حَيَاتِي,
फिर कहा कि मैने रसूलुल्लाह ﷺ से सुना कि जो कोई नया कपड़ा पहनते वक्त यह पढे और पूराने कपड़े को सदक़ा (दान) कर दे वह ज़िन्दगी में और मरने के बाद किन्फ व हिफ्ज़ व सतर (كنف،حفظ،و ستر) में रहेगा, तीनों शब्दों के एक ही माना है, यानी अल्लाह तआला उस का हाफिज़ व निगहबान है, और फरमाया जो कोई जिस क़ौम से तशब्बोह (रूप धारण) करे वह उसी मे से है,
नबी आखेरुज़्जमां ﷺ ने उस मर्द पर लानत की जो औरतों का कपड़ा पहनता है और उन औरतों पर लानत की जो मर्दाना लेबास पहनती है (ابو داؤد)

हमारा कपड़ा कैसा हो?

कितना कपड़ा पहनना ज़रूरी है:
इतना कपड़ा जिस से सतर-ए-औरत (छुपाने वाली जगह) हो जाए और गरमी ठंडी की तकलीफ से बचे  फर्ज़ है यानी जरूरी है और इस से ज़्यादा जिस से बनाव सिंगार करना मकसद हो और यह भी कि अल्लाह ने दिया है तो नेमत का इज़हार मकसद हो तो 'मुस्तह़ब, है।
खास मौक़े पर जैसे ईद या जुमा के दिन उम्दा कपड़े पहनना मुबाह है, इस तरह के कपड़े रोज़ ना पहने,
घमंड के तौर पे जो कपड़ा हो वह मना है ।

कपड़ा किस तरह का होना चाहिए:
बेहतर यह है कि उनी सूती या कतान के कपड़े बनवाया जाए जो सुन्नत हो,
ना बहुत उम्दा हो ना बहुत घटिया,बलकी बीच वाला कपड़ा हो,
सफेद कपड़े बेहतर हैं कि हजीस में इस की तारीफ आई है और स्याह (काला) कपड़े भी बेहतर है कि रसूलुल्लाह ﷺ फतह-ए-मक्का के दिन जब मक्का में आए तो सर पर काला अमामा था, कुछ किताबों में हरा कपड़ा भी सुन्नत लिखा है।

कपड़े की साईज़:
सुन्नत यह है कि दामन की लम्बाई आधी पिन्डली तक हो और आस्तीन की उंगलियों के पौरों तक, और चौड़ाई एक बालिश्त (बित्ता) हो,(ردُّالمُحتار)
कुर्ते की आस्तीन कहनियों से उपर रहती है,यह ःी सुन्नत के खेलाफ है,
हदीस में है कि إِيَّاكُمْ وَزِيَّ الأَعَاجِمِ यानी अजमियों के भेस से बचो, उन के जैसा फैशन ना बना लेना।
फोकहा (फक़ीह का बहुवचन) ओलमा (आलिम का बहुवचन) को ऐसा कपड़ा पहनना चाहिए कि वह पहचाने जाएं ताकि लोगों को उन फायदा लेने का मौक़ा मिले, और इल्म (ज्ञान) की वुक्अत लोगों को मिले,(رد المحتار)



मुरत्तिब,तर्जुमा: व तस्हील
 Neyaz Ahmad Nizami








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