neyaz ahmad nizami

Thursday, September 27, 2018

मुसलमानों की आराम खोरी या हराम खोरी:नेयाज़ अहमद (हिन्दी अनुवादक)

लेखक: जावेद चौधरी::


हमने अपने 14सौ वर्षों के इतिहास में गैरों को इतना फतह नही किया जितना हम एक  दुसरे को फतह करते रहे,आप को शायद यह जान कर आश्चर्य होगा कि मुसलमानों नें दुनिया का 95% इलाक़ा इस्लामी सन की पहली शताब्दी में फतह कर लिया था ।
• मुसलमान 1350 साल उस एलाके के लिए एक दूसरे से लङते रहे,
• हमारे  ज्ञान, फलसफा, साइंस, और इजादात की 95% इतिहास भी सिर्फ 300साल तक घेरे हुए है,
• हम ने वाक़ई 1000 साल में जंगो के सिवा कुछ नही किया ,
• आप आज 2018 से हज़ार साल पीछे चले जाइए
आप को ..............
•महमूद गजनवी हिन्दुस्तान पर हमले करता मिलेगा,
सब से पहले मुल्तान पर हमला करके इस्माईली फिर्क़े के मुसलमानों का क़त्ल-ए-आम किया करता था और दौलत लूट ले जाता था,
• आप स्पेन में मुसलमान के हाथों मुसलमान  का गला कटते देखेंगे ,
• आप को तुर्की में सलजूक तलवारें  उठा कर फिरते नजर आएंगे,
• आप को अरब में लाशे बिखरी मिलेंगी,
• शिया सुन्नी - सुन्नी शिया के सर उतारते नज़र आएंगे,
• मुसलमान  मुसलमान  को फतह (विजय)  करता नज़र आएगा,
• मुसलमान  मुसलमान  की मस्जिदें जलाते दिखाई देंगे,
और........
•  आप मोमिन के हाथों मोमिनों के सरों के मिनार बनते देखेंगे,
• आप 1018ई0 से आगे आते चले जाएं आप के सारे तबक़ रोशन होते चले जाएंगे,
आप को.........
• मुसलमान मुसलमान की हत्या करते और उस के बीच हराम खोरी करते नजर आएंगे,
• हमने उस के बाद बाकी हजार साल तक हराम खोरी के सिवा कुछ नही किया ,

इस्लामी दुनिया हज़ार साल से.....

•कंघी से लेकर नील कटर (nail cutter) तक उन लोगों की इस्तेमाल कर रहा है ..जिन्हें हम दिन में पांच बार बद दुआएं देते हैं,
• आप कमाल देखिए, हम मस्जिदों यहुदियों के पंखे और AC लगा कर,
•इसाइयों की टोटियों से वज़ू करके,
• काफिरों (खुदा का ना मानने वाला) के साउंड सिस्टम पर अज़ान देकर,
और.....
• लादीनों (China) जाय नमाज (مُصلّٰی) पर सजदा करके सारी दुनिया के लादीनों (China) की बरबादी की बद दुआ करते हैं,
• हम दवाएं भी यहूदियों की खाते है,
• बारूद भी काफिरों का इस्तेमाल करते हैं ,
और

::पूरी दुनिया पर इस्लाम के विजयी होनेका स्वप्न भी देखते हैं ::

• आप को शायद यह जान कर आश्चर्य होगा कि हम खुद को दुनिया का सब से बहादुर क़ौम समझते हैं,

लोकिन........
हमने पिछले 500 वर्षो में काफिरों के खिलाफ कोई बड़ी जंग नही जीती, हम 5सदियों से मार और सिर्फ मार खा रहे हैं।

•प्रथम विश्व युद्ध से पहले पूरा अरब एक था यह खेलाफत-ए-उस्मानिया  का हिस्सा था,

•यूरोप ने 1918 में अरब को 12 देशों में बांट दिया, और विश्व की बहादुर क़ौम देखती की देखतू रह गई,

•हम अगर लड़ाकू थे, हमारा अगर लड़ने का 1400 वर्षों का तजरबा था को हम कम से कम लड़ाई ही में ‘‘प्रफेक्ट,, हो जाते,

•और कम से कम दुनिया के हर हथियार पे मैड बाई मुस्लिम (Made by Muslim) का ट्रेड मार्क ही लग जाता,

और...........
•हम अगर दुनिया की बहादुर फौज ही तयार कर लेते तो आज मार ना खा रहे होते,

•आज कम से कम इराक़, लीबिया, मिस्र, अफग़ानिस्तान, और शाम (सीरिया) मानवी विडंबना ना बन रहे होते,

::आप इस्लामी दुनिया की बद किस्मती (दुर्भाग्यता)देखिए::

•हम लोग आज युरोपिय बन्दूक़ों, टेंकों, तोपों, गोलों, गोलियों, और अमेरिकी जंगी जहाज़ों के बेगैर और उन की ‘‘war technologies,, की मदद के बेगैर काबा शरीफ की सुरक्षा भी नही कर सकते,

• हमारी शिक्षा का हाल यह है दुनिया की 100 ही यूनिवर्सीटियों की सूची में इस्लामी देशों की एक भी यूनिवर्सीटि नही आती,

• सारी इस्लामी दुनिया मिलकर जितने रिसर्च पेपर तयार करती है, वह अमेरिकी के एक शहर बोस्टन में होने वाली रिसर्च आधा बनता है,

• पूरी इस्लामी दुनिया के राजा इलाज के लिए युरोप और अमेरिका जाते हैं,

•यह अपने जीवन का आखरी हिस्सा यूरोप, अमेरिका, कैनेडा, और न्यूज़िलैंड में व्यतित (गूजारना) चाहते हैं,

•दुनिया का 90% इतिहास इस्लामी दुनिया में है लोकिन इस्लामी दुनिया के 90% खुश्हाल लोग घूमने फिरने के लिए  पश्चिमी देशों में जाते हैं,

• हम ने 500 साल से दुनिया को कोई दवा कोई हथियार, कोई नया फलसफा, कोई खुराक, कोई अच्छी पुस्तक, कोई नया खेल,
और कोई अच्छा कानून नहीं दिया,

• हमने अगर इन 500 वर्षों में कोई अच्छा जूता ही बना लिया होता तो हमारा फर्ज-ए- कफाया अदा हो जाता,

• हम हजार बरसों में साफ सुथरा मुत्रालय नहीं बना सके, हमने मोज़े,और सिलीपर चप्पल, और गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गरम लिबास तक नहीं बनाया,

• हमने अगर कुरान मजीद की छपाई के लिए कागज प्रिंटिंग मशीन और स्याही ही बना ली होती तो हमारी इज्जत रह जाती, मगर यह भी हमारे अलीमों की बुलंद सोच में बसने वाले ‘‘काफिरों,, ने ही बनाई है,

• हम तो काबा शरीफ के गिलाफ के लिए कपड़ा भी इटली से तैयार कराते हैं,

• हम तो मक्का मदीना के लिए साउंड सिस्टम भी यहूदी कंपनियों से खरीदते हैं,

•हमारे लिए आबे जमजम भी काफिर कंपनियां निकालती है,

• हमारी तस्बीहात और जा नमाज भी चीन से आती है,

• और हमारे अहराम और कफन भी जर्मन मशीनों पर तैयार होते हैं,
• हम माने या ना माने लेकिन यह सत्य है दुनिया के डेढ़ अरब मुसलमान खरीदार से ज्यादा कोई हैसियत नहीं रखते,

• यूरोप जीवन की नेमत तयार करता है बनाता है इस्लामी दुनिया तक पहुंचाता है,

और हम इस्तेमाल करते हैं.......

• और इसके बाद बनाने वालों को आँखें निकालते हैं, और उन पर लाखो मर्तबा लानत और मला मत भेज कर सर फख्र से ऊंचा करते हैं,

• आप विश्वास कीजिए जिस साल ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने सऊदी अरब को भेड़ देने से इंकार कर दिया उस साल मुसलमान हज पर कुर्बानी नहीं कर सकेंगे,

• और जिस दिन यूरोप और अमेरिका ने इस्लामी दुनिया को गाड़ियां, जहाज, और कंप्यूटर, बेचना बंद कर दिए हम उस दिन घरों में कैद होकर रह जाएंगे,
• हम शहर में नहीं निकल सकेंगे यह हैं हम और यह है हमारी औकात लेकिन आप किसी दिन अपने दावे सुन लें,
• आप उन नौजवानों के नारे सुन लें जो मैट्रिक का इम्तिहान पास नहीं कर सके,



जिन्हें पेच तक नहीं लगाना आता......
मगर जिस दिन उनके बुढे पिता की दिहाड़ी ना लगे उस दिन उनके घर चूल्हा नहीं जलता,

आप उनके नारे
 उनके दावे सुन लीजिए.....

• यह लोग पूरी दुनिया में इस्लाम (और अब सिर्फ अपने पीर साहब का) झंडा लहराना चाहते हैं,

• यह गैरों को नेस्तनाबूद करना चाहते हैं,

::आप अपने आलिम की तकरीर भी सुन लीजिए::

• अपने माइक की तार ठीक नहीं कर सकते यह अल्लाह और अल्लाह के रसूल का नाम अपने मुरीद को मार्क जुकरबर्ग (Facebook) के जरिए पहुंचाते हैं,

• यह लोगों को थूकने की तमीज नहीं सिखा सके,

• आज तक इब्ने कसीर.(महान इस्लामी विद्वान) इमाम गजाली (महान इस्लामी विद्वान) और मौलाना रूम से आगे नहीं बढ़ सके,

• पूरे इस्लामी देशों में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं जो इब्न अरबी (महान इस्लामी विद्वान) को समझने का दावा कर सके,

 इब्ने रुश्द (महान इस्लामी विद्वान) भी हमें यूरोप के स्कॉलर्स ने समझाया था,

• ईब्न होशाम (महान इस्लामी विद्वान) और इब्न इस्हाक़ (महान इस्लामी विद्वान) भी हम तक ऑक्सफोर्ड प्रिंटिंग प्रेस के जरिए पहुंचे थे,

• लेकिन आप अलीमों की तकरीर सुन लें आपको महसूस होगा कि पूरी दुनिया का सिस्टम इनके पीर साहब चला रहे हैं,

• यह जिस दिन आदेश देंगे उस दिन सूर्योदय नहीं होगा और यह जिस दिन फरमा देंगे उस दिन पृथ्वी पर अन्न (अनाज) नहीं उगेगा,

:: हमने आखिर आज तक किया क्या है::

 हम किस कर्म पर दुनिया की सबसे बड़ी कौम समझते हैं जो आज तक हर जुम्मा के खुतबा में गला फाड़ फाड़कर मुस्तफा का कानून पर फख्र करने के बावजूद उसे मुसलमानों के किसी भी मुल्क में लागू नहीं कर सके,

 मुझे आज तक इस सवाल का जवाब नहीं मिल सका::

 हम अगर दिल पर पत्थर रख कर यह सच मान लें तो फिर हमें पता चलेगा हमारी ‘‘हराम खोरी,, हमारी जींज का हिस्सा बन चुकी है।
{ہندی ترجمہ کرتے وقت کچھ جگہ لغوی معنہ کو نہ لکھکر عرفی و مفہومی معنہ کر دیا گیا تاکہ قاری کو سمجھنے میں آسانی ہںو،نیاز احمد ،}

लेखक: जावेद चौहदरी
मुरत्तिब,तर्जुमा: व तस्हील
 Neyaz Ahmad Nizami

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