neyaz ahmad nizami

Tuesday, April 11, 2017

हज़रत सय्यदुना इमाम जाफर सादिक़ رحمۃ اللہ علیہ



रजब के महीना को कई बज़ुर्गों  से निस्बत हासिल है इन्ही में से एक हस्ती ऐसी भी है जिसने भटके हुए लोगों को राह दिखाई,उम्दा (उच्च) किरदार की खुश्बू से परिशान हालों की परिशानी दूर की, इल्म के नुर से जहालत  की तारीकी को खत्म किया,वह महान शख्सियत हज़रत सय्यदुना इमाम जाफर सादिक़ रज़ियल्लाहु अन्हु हैं,

नाम नसब (खानदान) :  आप का नाम '' जाफर ,, और कुन्नियत ''अबू अब्दुल्लाह,, है, आप का जन्म 80 हिजरी में हुआ, आप के दादा हजरत इमाम ज़ैनुल आबेदीन और वालिद (पिता) इमाम मुहम्मद बाक़र हैं,जबकि वालिदा (माँ) हजरत उम्मे फरवा बिन्त क़ासिम बिन मुहम्मद बिन अबू-बकर सिद्दीक़ हैं (رحمۃ اللہ تعالی علیھم اجمعین)

इस तरह आप पिता की तरफ से हुसैनी सय्यद और माँ की तरफ से सिद्दीक़ी हैं,सच बोलने की वजह से आप को सादिक़ के लक़ब से जाना जाता है।

तालीम व तरबियत :  आप ने मदीना शरीफ में आंख खोलीं और अपने पिता इमाम मुहम्मद बाक़र,हजरत सय्यदना ओबैदुल्लाह  बिन अबी राफेअ, हजरत सय्यदना उर्वा बिन ज़ुबैर, हजरत सय्यदना अ़ता और हजरत सय्यदना नाफेअ़ علیھم الرحمۃ के इल्मी गहवारे में तरबियत हासिल की (تزکرۃالحفاظ 1/126) दो अज़ीम (महान) सहाबा हजरत सय्यदना अनस बिन मालिक और  हजरत सय्यदना सहल बिन साअ़द رضی اللہ تعالی عنھما  की ज़ियारत (देखने) करने की वजह से आप  رحمۃ اللہ تعالی علیہ  ताबई़ हैं  (سیر اعلام النبلاء ۶/۴۳۸)

http://neyaznizami.blogspot.com/2017/04/blog-post_11.html
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दीनी ख़िदमात (मज़हबी सेवाएं) :  हज़रत सय्यदुना इमाम जाफर सादिक़ رحمۃ اللہ علیہ की सोहबत (साथ) में रह कर कई लोग क़ौम के लिए रोशन भविष्य बने, आप  رحمۃ اللہ علیہ के इल्मी फैज़ान से फायदा हासिल करने वालों में आप के पुत्र इमाम मुसा काज़िम, इमाम आ़ज़म अबू हनिफा, इमाम मालिक, हज़रते सुफियान सोरी, हजरत सुफियान बिन ओययना, علیھم الرحمۃ  के नाम सब से उपर है, (تزکرۃ الحفاظ 1-125)

हिकायत : एक मरतबा गुलाम नें हाथ धुलवाने के लिए पानी हाथ पर डाला मगर हाथ पर गिरने को बजाए कपङों पर गिर गया, आप رحمۃ اللہ علیہ ने ना तो झाङा और ना तो सज़ा दी बल्कि उसे मुआफ कर दिया और आज़ाद भी कर दिया (بحرالدموع ص 202 )

विसाल व मदफन: आप رحمۃ اللہ علیہ  का विसाल 15 रजब 148 हिजरी को यानी 68 साल की उम्र में हुआ
और आप अपने दादा इमाम ज़ैनुल आबेदीन और अपने पिता इमाम बाक़र رحمۃ اللہ علیھا  की क़ब्रों के पास  जन्नतुल बक़िय में दफन हुए,

ماہنامہ فیضان مدینہ ص 42 شمارہ اپریل 2017

मुरत्तिब,तरजुमा व तस्हील
 Neyaz Ahmad Nizami















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