neyaz ahmad nizami

Monday, April 10, 2017

चन्द कुफ्रिया कलेमात (बाते)

गरीबी, बिमारी, परिशानी, और मौत के मौकों पर कुछ लोग  ग़म या जज़बात में आकर  कभी कभी نَعُوذُ بِااللہ कुफ्रिया कलेमात(बातें) बक देते हैं।
याद रखिए! बेगैर शरई़ वजह के होश और हवास में खुला कुफ्र बकने वाला और माना (मतलब) समझने के बा-वजूद हां में हा मिलाने वाला बल्कि उस की हेमायत में सर हिलाने वाला भी काफिर हो जाता है,

मुश्किल घङी में बकी जाने वाली कुफ्रिया बातों की मिस़ालें
1- एतराज़ के तौर पे कहना: वह शख़्स लोगों के साथ कुछ भी करे अल्लाह की तरफ से उस को पूरी आज़ादी है।

2- अल्लाह ने हमेशा मेरे दुश्मनों का साथ दिया।

3- एतराज़ के तौर पे यूं कहना: कभी हम फुलां के साथ थोङा कुछ कर लें अल्लाह हमें  फौरन पकङ लेता है।

4- हमेशा सब कुछ अल्लाह पर छोङ कर भी देख लिया कुछ नहीं होता।

5- अल्लाह ने मेरी क़िस्मत अभी तक तो अच्छी नहीं बनाई।

6- एक शख़्स ने हमारी नाक में दम कर रखा है, मज़े की बात यह है ति अल्लाह भी ऐसों के साथ होता है।

7- जिस शख़्स ने  मुसीबतें पहुंचने पर कहा: ऐ अल्लाह! तूने माल ले लिया,फुलां चीज़ लेली, अब क्या करेगा? या अब क्या चाहिए? या अब क्या बाक़ी रह गया? यह सब बातें कुफ्र हैं।
8- जो कहे: अल्लाह ने मेरी बिमारी और बेटे की मुशक़्क़त के बावजूद मुझे अ़ज़ाब दिया तो उस ने मुझपर ज़ुल्म किया।

9- अल्लाह ने हमेशा बुरे लोगो़ का साथ दिया।

10- अल्लाह ने मजबूरों को और परिशान किया है






ग़रीबी की वजह से बकी जाने वाली कुफ्रिया बातों का मिसालें

11- जो कहे: ''ऐ अल्लाह! मुझे रिज़्क़ दे और मुझपर तंगदस्ती (गुरबत-ग़रीबी) डालकर ज़ुल्म ना कर। (فتاوی قاضی خاں )

12- यह कहना: कि अगर वाक़ई अल्लाह होता तो ग़रीबों का साथ देता कर्ज़दारों का सहारा देता, कुफ्र है।


ऐतेराज़ की सूरत में बकी जाने वाली कुफ्रिया बातें

13- मुझे नहीं मालूम कि अल्लाह ने जब मुझे दुनिया में कुछ नही दिया तो मुझे पैदा ही क्यूं किया।

14- किसी गरीब ने अपनी गरीबी देख कर यह कहा: या अल्लाह! फुलां तेरा बन्दा है  उसे तूने कितनी नेमतें दे रखी हैं और एक मैं भी तेरा बन्दा हूं मुझे  कितना रंज व तकलीफ देता है। आख़िर कैसा इन्साफ है?

15- कहते हैं: अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है , मैं कहता हूं यह सब बकवास है।

16- जिन लोगों को मैं प्यार करता हूं वह परिशानी में रहते हैं और जो मेरे दुश्मन होते हैं अल्लाह उन को बहुत ख़ुश्हाल रखता है।

17- काफिरों और मालदारों को राहतें और गरीबों नादारों को आफतें, बस जी अल्लाह के घर का तो निज़ाम ही उल्टा है।

18- ऐ मेरे रब! तू मुझ पर क्यूं ज़ुल्म करता है? हालांकि मैं ने तो कोई गुनाह किया ही नहीं,
यह तमाम बातें कुफ्रिया हैं।

मौत के मौक़ों पर बकी जाने वैली कुफ्रिया बातें

19- किसी की मौत पर किसी ने कहा: अल्लाह को ऐसा नहीं करना चाहिए था, यह कुफ्र है

20- किसी बच्चे की मौत पर किसी ने कहा: अल्लाह को इस की हाजत (ज़रूरत) रही होगी इसी लिए बुला लिया।

21- किसी की मौत पर आम तौर पे बक देते हैं कि अल्लाह को इसकी ना जाने क्या ज़रूरत पङ गई जो जल्दी बुला लिया,या यह कहते हैं अल्लाह को भी नेक लोगों की ज़रूरत पङती है इस लिए जल्द उठा लेता है (यह सुन कर इस का मतलब समझने के बावजूद हां में हां मिलाने वाला काफिर है)

22- किसी की मौत पर किसी ने कहा: या अल्लाह तुझे इस के छोटे छोटे बच्चों पर भी तरस नही आया?।

23- इस की भरी जवानी पर ही रहम किया होता अगर लेना ही था तो फलां बुढ्ढे या बुढिया को ले लेता।

24- या अल्लाह! आख़िर इस की ऐसी क्या ज़रूरत पङ गई कि अभी से वापस बुला लिया।

यह तमाम की तमाम बातें कुफ्र हैं, याद रहे कुफ्रिया कलेमात बकने से या हां में हां मिलाने से या सिर्फ ताइद के लिए सर हिलाने से इन्सान काफिर हो जाता है ,उस का निकाह टूट जाता है, ज़िन्दगी भर के नेक अमल बरबाद हो जाते हैं, अगर हज कर लिया था तो वह भी गया,
अल्लाह हमें कुफ्रिया कलेमात से बचने की तौफिक़ दे आमीन
(خلاصہ 28کفریہ کلمات)



मुरत्तिब, तर्जुमा, व तस्हील
नेयाज़ अहमद निज़ामी

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