neyaz ahmad nizami

Wednesday, March 29, 2017

इस महीना (रजब) की बहारें: नेयाज़ अहमद निज़ामी

beutifull RAJAB image
अल्लाह का महीना

फरमान-ए-मुस्तफा ﷺ है कि रजब अल्लाह तआला का महीना और शअबान मेरा महीना और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है।
(الفردوس بماثور الخطاب ج2 ص275 حدیث3276)
रजब के मुख्तलिफ (अलग अलग) नाम
 रजब तरजीब से निकला है इस के माना हैं: "ताअज़ीम करना",
और इस माह को "शहर-ए-रज्म" भी कहते हैं क्यूंकि इस में शैतानों को पत्थर मारा जाता है ताकि वह मुसलमानों को नुकसान ना दें,
(غنیۃ الطالبین ج1 ص319، 320)
मुकाशेफतुल कुलूब में है,कि "रजब" में  तीन शब्द हैं " ' ' '' से मुराद (मतलब) रहमत-ए-इलाही, " से मूराद (मतलब) बन्दे का जूर्म, से मुराद (मतलब) "बिर्र,, यानी एहसान व भलाई,,गोया अल्लाह फरमाता है: मेरे बन्दे के जुर्म को मेरी रहमत और भलाई के दरमियान करदो।
(مکاشفۃ القلوب ص301)

एक जन्नती नहर का नाम ''रजब" है
हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहो अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फरमाया:
जन्नत में एक नहर है जिसे रजब कहा जाता है वह दुध से ज्यादा सफेद और शहद से ज्यादा मीठी है, तो जो कोई रजब का एक रोज़ा रखे अल्लाह उसे उस नहर से पिलाएगा।
(شعیب الایمان ج3 ص367، حدیث3800)
पहला रोज़ा तीन साल के गुनाहों का कफ्फारा
नबी ﷺ ने फरमाया रजब के पहले दिन का रोज़ा तीन साल का कफ्फारा है,दूसरे दिन का दो साल का,और तीसरे दिन का एक साल का कफ्फारा है,फिर हर दिन कै रोज़ा एक महीना का कफ्फारा है,
(الجامع الصغیر للسیوطی ص311 حدیث 5051)
नोट: यहां "गुनाह के कफ्फारा" से मतलब यह है कि रोज़े गुनाहे सगीरा की मुआफी का ज़रीया बन जाते हैं,

एक रोज़े की फज़ीलत
सुल्ताने मदीना  ﷺ ने इर्शाद फरमाया कि रजब का महीना हुर्मत वाला महीना है,और छट्ठे आसमान के दरवाज़े पर इस महीने के दिन लिखे हुए है,अगर कोई रजब में एक रोज़ा रखे और उसे परहेज़गारी से पूरा करे तो वह दरवाज़ा और वह (रोज़े वाला) दिन उस बन्दे के लिए अल्लाह से मगफिरत तलब (मांगेंगे) करेंगे कि
या अल्लाह! इस बन्दे को बख्श दे" और अगर वह बेगैर परहेज़गारी के रोज़ा गुज़ारता है तो फिर वह दरवाज़ा और दिन उस की बख़्शिश की दरखास्त  नहीं करेंगे,और उस शख्स से कहते हैं : ऐ बन्दे! तेरे नफ्स ने तुझे धोका दिया,।
(ماثبت با لسنۃ ص 234)

60महीनों का सवाब
हजरते अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि,, जो कोई सत्ताइसवीं रजब का रोज़ा रखे अल्लाह तआला उस के लिए 60 महीनों के रोज़ों का सवाब लिखे,
(فضائل شھر رجب للخلال ص76)
100साल के रोज़ों का स़वाब
हजरते सलमान फारसी रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है की नबी ﷺ  ने फरमाया रजब में एक दिन और रात है जो उस दिन रोज़ा रखे और रात को क़ेयाम (इबादत) करे तो गोया उस ने 100साल के रोज़े रखे और 100साल की शब बेदारी (रातभर अल्लाह की इबादत) की और यह रजब की सत्ताइस (27) तारीख़ है,।।

रजब में परीशानी दूर करने की फज़ीलत
हजरते अब्दुल्लाह इब्ने ज़ुबैर रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है: जो माहे  रजब में किसी मुसलमान की परिशानी दूर करे तो अल्लाह उस को जन्नत में एक ऐसा महल अता करेगा जो जहां तक नज़र पहुंचेगी उसे वहां तक चौंङा नजर आएगा,
(غنیۃ الطالبین ج 1 ص324)

RAJAB KE KUNDE
रजब के कुन्डे
रजब के महीने में कुछ जगह हजरते इमामे जाफरे सादिक़ रजियल्लाहु अन्हु  को इस़ाले स़वाब के लिए पूरियों के कुन्डे भरे जाते हैंयह भी जायज़ मगर उस में भी उसी जगह खाने की कुछ लोगों ने पाबन्दी कर रखी है यह बेजा (बेकार) पाबन्दी है,इस कुन्डे के बारे में एक किताब भी है जिस का नाम "दास्तान-ए-अ़जीब,, है, उस मौक़ा पर कुछ लोग उस को पढवाते हैं उस में जो कुछ लिखा है उस का कोई सबूत नहीं  वह ना फढी जाए,फातेहा देकर इसाले सवाब करें   
(بہار شریعت ج 3ص643)
यह भी याद रहे कुन्डे ही में खीर खाना ज़रूरी नही,दूसरे बरतन में भी खा खिला सकते हैं,

कुन्डे का नेयाज़ किस तारीख को करें?पबरे माहे रजब में बल्कि सारे साल में जब चाहें इसाले सवाब के लिए  कुन्डो की नेयाज़ कर सकते हैंअल बत्ता मुनासिब यह है कि "15 रजब" को  रजब के कुन्डे किए जाएं क्यूंकि यह आप के उर्स का दिन है,फतावाफकीहे मिल्लत जिल्द दो में भी इसी से मिलता जुलता मज़मून है,।
नोट: कफन की वापसी, के अलग अलग सफहात से,

मुरत्तिब हिन्दी तर्जुमा व तसहील
Neyaz Ahmad Nizami





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